तमिलनाडु में भी मिले सिंधु घाटी सभ्यता जैसे निशान, 120 कलशों से खुला राज
- तमिलनाडु में भी कई जगहों पर हुई खुदाई में सिंधु घाटी सभ्यता जैसे निशान मिले हैं। जानकारों का कहना है कि सिंधु घाटी सभ्यता के समानांतर ही यहां भी एक सभ्यता का विकास हुआ था।
तमिलनाडु में प्राचीन पुरातात्विक स्थलों पर खुदाई के दौरान मिले करीब 90 प्रतिशत भित्तिचित्र चिह्न सिंधु घाटी सभ्यता के प्रतीकों से मिलते जुलते हैं। यह दावा तमिलनाडु पुरातत्व विभाग ने हालिया अध्ययन में किया है। भित्तिचित्रों के अलावा, पुरातत्वविदों को खुदाई के दौरान इंद्रगोप (कार्नेलियन) मनका, गोमेद, काले और लाल बर्तन तथा अन्य वस्तुएं भी मिलीं।
120 कलशों में मिले भूसे से खुला राज
विभाग के मुताबिक तुत्तुक्कुडी जिले के शिवगलाई स्थल पर खोजी गई मिट्टी से बना सूत कातने का उपकरण, धूम्रपान के लिए मिट्टी से बनी पाइप, कांच की चूड़ियां, शंख आदि सहित 700 से अधिक कलाकृतियां मिली हैं जो इस बात का संकेत देती हैं कि यह प्राचीन सभ्यता 3,200 साल से भी पहले अस्तित्व में थी। पुरातत्व स्थल पर पाए गए 120 दफन कलशों में से एक में धान का भूसा पाया गया जिसकी कार्बन डेटिंग करने पर साबित हुआ कि यह 3,200 साल पुराना है।
प्रोफेसर के. राजन और तमिलनाडु पुरातत्व विभाग के संयुक्त निदेशक आर. शिवनाथन द्वारा किए गए आकृति विज्ञान संबंधी अध्ययन के तहत 140 पुरातात्विक स्थलों से प्राप्त 15,000 से अधिक भित्तिचित्र युक्त बर्तनों के टुकड़ों का डिजिटलीकरण किया गया। अनुसंधानपत्र के मुताबिक तुलनात्मक अध्ययन से पता चला है कि सिंधु घाटी सभ्यता और लौह युग की बस्तियों के बीच आदान-प्रदान हुआ होगा। लेकिन इस संबंध को निर्णायक रूप से स्थापित करने के लिए और अधिक सबूतों की आवश्यकता है, जिस पर अब प्रयास किया जा रहा है।
बता दें कि सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से जानते हैं। इसे भारत की पहली ऐसी सभ्यता माना जाता है जिसमें नगरों का विकास हुआ था। फिलहाल यहअफगानिस्तान और पाकिस्तान में है। हालांकि भारत में कई जगहों पर इससे मिलते जुलते निशान मिले हैं।हाल ही में तमिलनाडु के सीएम स्टालिन ने सिंधु घाटी की एक लिपि को समझने पर 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार देने का भी ऐलान किया है। तमिलनाडु की खोजों से एक लौह युग की सभ्यता की मौजूदगी का पता चलता है। यह सभ्यता भी सिंधु घाटी सभ्यता के समानांतर ही चल रही थी।