Hindi Newsदेश न्यूज़Gorkha communities in WB and Sikkim team up to press for their demands of inclusion in ST list

बंगाल और सिक्किम के गोरखा शुरू करेंगे आंदोलन, अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने की मांग

  • सिक्किम और पश्चिम बंगाल के गोरखा समुदाय के लोग अपनी मांगों को लेकर एकजुट हुए हैं। लोग गोरखा समुदाय के एक दर्जन से ज्यादा उपजातियों को अनुसूचित जनजाति को सूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तान, सिलीगुड़ीMon, 7 Oct 2024 12:13 PM
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गोरखा समुदाय के लोग समूह को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने को लेकर एकजुट हो गए हैं। सिक्किम और पश्चिम बंगाल के कई गोरखा समुदाय करीब दो दर्जन गोरखा उप-जनजातियों को शामिल करने की अपनी मांग उठा रहे हैं। रविवार को पश्चिम बंगाल के 11 वंचित गोरखा समुदायों और सिक्किम के 12 समुदायों के प्रतिनिधियों ने बंगाल के सिलीगुड़ी में एक बैठक की। बैठक की अध्यक्षता सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग गोले ने की। बैठक में दार्जिलिंग से बीजेपी सांसद राजू बिस्टा, सिक्किम से लोकसभा सांसद इंद्र हंग सुब्बा और सिक्किम के राज्यसभा सांसद डीटी लेप्चा भी शामिल हुए। इस दौरान सिक्किम के कुछ मंत्री और पश्चिम बंगाल के विधायक भी मौजूद थे।

इस दौरान मुख्यमंत्री प्रेम सिंह ने मीडिया से कहा, "सिक्किम और दार्जिलिंग का एक समूह बनाया गया है। गोरखा को आदिवासी का दर्जा देने के लिए एक टीम बनाई गई है जिसमें सिक्किम और पश्चिम बंगाल से पांच-पांच सदस्य हैं। संयुक्त टीम अब आंदोलन का नेतृत्व करेगी और भविष्य की रणनीति तैयार करेगी।"

दार्जिलिंग से सिक्किम तक करेंगे मार्च- बीजेपी सांसद

रविवार की बैठक में मौजूद बीजेपी सांसद राजू बिस्टा ने कहा, “मांग पूरी करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। राजनीतिक दल और भारत सरकार की भाषा अलग-अलग है। हम बीजेपी और भारत सरकार दोनों पर दबाव बना रहे हैं। अगर सरकार नहीं समझती है तो हम दार्जिलिंग से सिक्किम तक मार्च करेंगे।” इससे पहले 11 समुदायों को आदिवासी का दर्जा देने के बंगाल सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए केंद्र ने 2016 में तीन समितियों का गठन किया था। जनजातीय मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव एम.आर. शेरिंग की अध्यक्षता वाली एक टीम द्वारा 2019 में संकलित अंतिम रिपोर्ट ने गेंद को RGI कार्यालय के पाले में डाल दिया।

बीजेपी ने किया था वादा

गौरतलब है कि बीजेपी ने अपने 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में 11 वंचित गोरखा समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का वादा किया था। हालांकि हाल ही में केंद्रीय जनजातीय मंत्री जुएल ओराम ने संसद में सिक्किम के राज्यसभा सांसद डीटी लेप्चा के प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सरकार ने राज्य में 12 समुदायों को जनजातीय दर्जा देने के सिक्किम सरकार के प्रस्ताव पर विचार नहीं किया है। इन 12 गोरखा समूहों में माझी सहित किरात/खंबू/राय, गुरुंग, मंगर, थामी, संन्यासी (जोगी), बाहुन, छेत्री, भुजेल, किरात/दीवान, सुनुवार और नेवार शामिल हैं। ओराम ने लेप्चा को दिए अपने जवाब में कहा, "रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने उत्तर दिया है कि इस मुद्दे की उनके द्वारा पहले ही जांच की जा चुकी है और सिफारिश के लिए विचार नहीं किया गया है।"

रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने किया इनकार

इससे पहले 10 सितंबर को जुएल ओराम ने एक चिट्ठी भी लिखी थी। जुएल ओराम ने कहा है कि राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा अनुशंसित और उचित ठहराए गए प्रस्तावों पर कार्रवाई की जा सकती है और उन्हें दर्जा देने के लिए कानून में संशोधन पर विचार करने के लिए आरजीआई और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के साथ सहमति व्यक्त करनी होगी।” वहीं आरटीआई के तहत पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में आरजीआई ने कहा था कि वह 11 गोरखा समुदायों को एसटी का दर्जा देने के लिए 2014 में केंद्र को बंगाल सरकार की सिफारिश को आगे नहीं बढ़ा सकता।

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