दुलारी देवी दूसरे के घरों में मांजती थीं बर्तन, वित्त मंत्री ने उनकी दी हुई साड़ी पहनकर पेश किया बजट
- दुलारी देवी का जन्म एक मछुआरा परिवार में हुआ था। उनके घर में पढ़ने-लिखने की सुविधा नहीं थी। कम उम्र में ही उनकी शादी हो गई। बच्चे हो गए। पति के तानों से तंग आकर उन्होंने पति को छोड़ दिया।
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Union Budget 2025-26: देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज लगातार आठवीं बार देश का बजट पेश किया। इस बजट से बिहार को काफी उम्मीदें थीं। वित्त मंत्री ने इसे काफी हद तक पूरा भी किया। आपको बता दें इसी साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं इसलिए इस बात की संभावना थी वह निराश नहीं करेंगी। उन्होंने आज जो साड़ी पहनी है उसमें भी उन्होंने इसका ख्याल रखा। उनकी साड़ी की चर्चा खूब हुई। आपको बता दें कि आज उन्होंने मिथिला पेंटिंग वाली साड़ी पहनी थी।
जेडीयू के राज्यसभा सांसद और अपनी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने खुशी जताते हुए कहा है कि जब हाल ही में वित्त मंत्री ने बिहार का दौरा किया था तो वह मधुबनी के सौराठ स्थित मिथिला पेंटिंग इंस्टीट्यूट भी पहुंची थीं। यहां उन्हें इस विधा की प्रसिद्ध कलाकार और पद्मश्री से सम्मानित दुलारी देवी ने यह साड़ी भेंट स्वरूप दी थी। आपको बता दें कि इस दौरान संजय झा, बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी उनके साथ थे।
मिथिला पेंटिंग बिहार के लिए शुभ संकेत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मथिला पेंटिंग वाली साड़ी पहनकर चुनावी राज्य बिहार को एक संदेश देने की कोशिश की। इसके अलावा, उनकी साड़ी पर की गई मिथिला पेंटिंग में पान, मखाना और मछली को दर्शाया गया है। यह तीनों ही मिथिला की पहचान है। आपको बता दें कि यहां किसी भी शुभ मौके पर इन तीनों की प्रधानता होती है।
कौन हैं दुलारी देवी?
दुलारी देवी मिथिला पेंटिंग की मशहूर कलाकार हैं। 2021 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया था। वह बिहार के मधुबनी जिले के रांटी गांव की रहने वाली हैं। मधुबनी ने मिथिला पेंटिंग की दुनिया में कई मशहूर कलाकार दिए हैं। उनमें महासुंदरी देवी, गोदावरी दत्त, बौआ देवी जैसे नाम शामिल हैं। इन्हें भी पद्म पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
दुलारी देवी का जन्म एक मछुआरा परिवार में हुआ था। उनके घर में पढ़ने-लिखने की सुविधा नहीं थी। कम उम्र में ही उनकी शादी हो गई। बच्चे हो गए। पति के तानों से तंग आकर उन्होंने पति को छोड़ दिया। इसके बाद खेतों में मजदूरी और लोगों के घर झाड़ू-पोछा लगाकर अपना जीवनयापन किया। उन्होंने मिथिला पेंटिंग की मशहूर कलाकार कर्पूरी देवी के घर में भी काम किया। यहीं से उन्हें मिथिला पेंटिंग सीखने की प्रेरणा मिली। इसके बाद उन्होंने महासुंदरी देवी से ट्रेनिंग ली।