खत्म नहीं हुआ कोरोना! अब लॉन्ग कोविड से जूझ रहे मरीज; डॉक्टर भी परेशान
- कोरोना मरीजों में ठीक होने के बाद पूरी तरह लक्षण खत्म नहीं हुए हैं। ऐसे में डॉक्टर भी परेशान हैं। क्योंकि लॉन्ग कोविड को टेस्ट करने का कोई तरीका नहीं है और ऐसे में
कोरोना अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। भारत ही नहीं दुनियाभर में कई ऐसे मरीज हैं जो कि लॉन्ग कोविड का सामना कर रहे हैं। वहीं डॉक्टरों को जांच और इलाज दोनों में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। WHO ने कोविड 19 को ग्लोबल हेल्थ इमर्जेंसी से बाहर कर दिया है लेकिन बहुत सारे मरीजों में संक्रमण खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है।
क्या होता है लॉन्ग कोविड
लॉन्ग कोविड का मतलब होता है कि संक्रमण की वजह से शरीर के कई हिस्से प्रभावित हो जाना। लंबे समय से इन्फेक्शन के कारण शरीर में कई अन्य बीमारियां भी पैदा हो जाती हैं। इसके लक्षणों में खांसी आना, जोड़ों और मांस पेशियों में दर्द, ब्रेन फॉग और एकाग्र होने में दिक्कत होना है।
हारवर्ड मेडिकल स्कूल के अध्ययन के मुताबिक कोरोना से गंभीर रूप से संक्रिमत 31 फीसदी मरीज उत्तर अमेरिका में हैं। इसके अलावा 44 फीसदी मरीज यूरोप और अन्य एशिया में हैं। भारत में मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के अध्ययन में पता चला है कि ठीक होने वाले 45 फीसदी कोरोना मरीजों में लक्षण देखे जा रहे हैं। उन्हें थकान और सूखी खासी की समस्या आम है।
डॉक्टरों के सामने क्या हैं चुनौतियां
मरीज डॉक्टरों को बताते हैं कि अब उन्हें जो दिक्कतें हैं वे कोरोना होने से पहले नहीं थीं। इसमें अस्थमा जैसे हालात शामिल हैं। इसके अलावा कई लोगों को न्यूरो की समस्या होती है। हालांकि लॉन्ग कोविड को डायग्नोस करने के लिए कोई टेस्ट ही नहीं है। पुष्पावती सिंघानिया अस्पताल की सीनियर कन्सल्टेंट नीतू जैन के मुताबिक, लॉन्ग कोविड का पता लगाने के लिए कोई टेस्ट नहीं है और ऐसे में इसका इलाज भी नहीं हो पाता है।
शिव नादर यूनिवर्सिटी की एक टीम ने पता लगाया कि कोविड संक्रमण की वजह से दिमाग की कोशिकाओं में जलन होती है। माइक्रोग्लिया सेल्स में नाइट्रिक ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। ऐसे में नींद ना आना, थकान और अन्य समस्याएं हो जाती हैं।