Hindi Newsदेश न्यूज़Dharmendra Pradhan suggests changing name of 156 year-old Odisha university triggers row

156 साल पुरानी यूनिवर्सिटी का बदला जाएगा नाम? शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के सुझाव से विवाद शुरू

  • केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा के सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थानों में से एक रावेनशॉ विश्वविद्यालय का नाम बदलने का सुझाव दिया। इससे राज्य में नया विवाद शुरू हो गया है।

Gaurav Kala भुवनेश्वर, देबब्रत मोहंती, हिन्दुस्तान टाइम्सSun, 1 Sep 2024 11:12 AM
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केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ओडिशा के सबसे पुराने शैक्षणिक संस्थानों में से एक रावेनशॉ विश्वविद्यालय का नाम बदलने का सुझाव दिया। हालांकि,प्रधान ने स्पष्ट किया कि 156 साल पुराने संस्थान का नाम बदलने का सुझाव उनकी निजी राय है। प्रधान ने कटक में स्वशासन दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘नाम परिवर्तन की आवश्यकता है। रावेनशॉ के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है, उन्होंने अकाल के दौरान जो किया, उससे ओडिशा के लोगों को नुकसान हुआ।’’

स्थानीय स्वशासन दिवस के अवसर पर कटक में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने टी.ई. रावेनशॉ की भूमिका पर सवाल उठाया। हेनरी रावेनशॉ के नाम पर राज्य विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है। उन्होंने 1866 के कुख्यात ना'आंका अकाल के दौरान उनकी भूमिका पर भी सवाल उठाए, जिसमें राज्य के 30 लाख लोग मारे गए थे।

संबलपुर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद ने यह भी बताया कि 1866 का विनाशकारी अकाल ओडिशा के तत्कालीन आयुक्त टी.ई. रावेनशॉ के कार्यकाल में पड़ा था। प्रधान ने कहा, ‘‘अकाल में ओडिशा के कई लोग मारे गए थे। यह आपदा ब्रिटिश अधिकारियों की प्रशासनिक विफलता के कारण आई थी, जिनमें हेनरी रावेनशॉ भी शामिल थे। ओडिशा के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय का नाम ब्रिटिश आयुक्त के नाम पर क्यों रखा जाना चाहिए? ओडिशा के बुद्धिजीवियों को इस पर विचार करना चाहिए।’’

विवि के नाम बदलने के सुझाव से विवाद शुरू

नाम बदलने के केंद्रीय मंत्री के प्रस्ताव पर इसके पूर्व छात्रों के साथ-साथ शिक्षाविदों की भी तीखी प्रतिक्रिया आई है। रावेनशॉ यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र हेमेंद्र नारायण दास ने कहा "यूनिवर्सिटी का नाम नहीं बदला जाना चाहिए। रावेनशॉ एक नाम नहीं है, बल्कि, यह जीवन जीने का एक तरीका है। इसके पीछे 100 साल से ज़्यादा का इतिहास है...मंत्री का बयान अवास्तविक है।"

विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और प्रशासक सत्यकाम मिश्रा ने कहा कि जो लोग रावेनशॉ के योगदान के बारे में जानते हैं, वे कभी नहीं कहेंगे कि उनके नाम पर बने विश्वविद्यालय को बदल दिया जाना चाहिए। मिश्रा ने कहा, "अगर हमारे छात्रों ने ओडिया पढ़ा है, तो यह रावेनशॉ की वजह से है।"

गौरतलब है कि कटक में रावेनशॉ कॉलेज की स्थापना सन् 1868 में ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी। इसे 2006 में विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।

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