Hindi Newsदेश न्यूज़CPIM accepted police aggression forcing them to surrender over 5000 Maoists killed in 20 years

CPI(M) ने माना कमजोर हुए माओवादी संगठन, 20 साल मारे गए में 5000 से ज्यादा उग्रवादी

  • माओवादी संगठनों को लेकर नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि पिछले 20 सालों में संगठन के 5000 से ज्यादा उग्रवादी मारे गए हैं। इनमें 1000 महिलाएं भी शामिल है।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तान, रायपुरThu, 12 Sep 2024 06:04 PM
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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(माओवादी) यानी CPI M) की केंद्रीय समिति ने लाल स्याही से जारी अपनी 25 पेजों की एक रिपोर्ट में स्वीकार किया है कि पुलिस बलों की बढ़ती आक्रामकता ने उग्रवादी संगठनों को काफी कमजोर कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक माओवादी संगठनों ने पिछले 20 सालों में देशभर में 5249 उग्रवादियों को खोया है जिसमें 1000 महिला कार्यकर्ता भी शामिल हैं। 25 अगस्त को रिलीज की तारीख के साथ जारी केंद्रीय समिति ने 2004 से 2024 के बीच उनकी स्थिति के बारे में खुलासा किया है।।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने उनकी रिपोर्ट के हवाले से बताया कि इस दौरान 22 उच्च रैंकिंग वाले उग्रवादियों को मार दिया गया है जिनमें ‘पोलित ब्यूरो’ के आठ सदस्य भी शामिल हैं। इसके अलावा 48 विशेष क्षेत्रीय समिति, 14 आरसी क्षेत्रीय समिति, 167 जिला समिति, 26 उप-क्षेत्रीय समिति, 505 एसीएम समिति के सदस्यों की भी मौत हुई है। इसके अलावा सुरक्षाबलों ने 887 पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी के सदस्य और 3,596 लड़ाकों को भी मार गिराया है।

इस दौरान हिंसा की 4073 घटनाएं

रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ सहित दूसरे राज्यों में उग्रवाद के प्रभाव का भी विवरण दिया गया है। इसमें बताया गया है कि बस्तर में बुरकापाल और टाहकावाड़ा, महाराष्ट्र, ओडिशा और झारखंड तक फैली हिंसा की 4073 घटनाएं हुईं। इन घटनाओं में 3,090 सैनिक मारे गए और 4,077 अन्य घायल हुए। माओवादियों ने 2,365 आधुनिक हथियार और 119,682 राउंड गोला-बारूद लूट लिया है। उनका दावा है कि इससे उनके हथियारों के जखीरे में इजाफा हुआ है और उनका गुट मजबूत हुआ है। नोट में लिखा है कि 2021 से 2024 के बीच 261 सैनिक मारे गए, 516 घायल हुए और 25 आधुनिक हथियार चोरी हो गए।

आत्मसमर्पण की दर में इजाफा

माओवादियों की इस बुकलेट में सुरक्षा बलों की व्यापक उपस्थिति और घेराबंदी, तलाशी और जान से मारने की रणनीति की वजह से सामने आने वाली चुनौतियों पर भी जोर डाला गया है। इन रणनीतियों से विद्रोही अभियानों में कैडरों के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही हैं। समिति ने कहा है कि पुलिस के आक्रामक रुख के कारण आत्मसमर्पण की दर में इजाफा हुआ है। चुनौतियों के बीच 21 सितंबर से 20 अक्टूबर तक समिति अपनी 20वीं वर्षगांठ मनाने की योजना बनाई है।

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