पूर्व CM येदियुरप्पा की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, कर्नाटक सरकार ने फिर खोला भ्रष्टाचार का केस; राज्यपाल से सिफारिश
- कैबिनेट का मानना है कि इस मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ चल रही जांच और जी. सी. प्रकाश के खिलाफ जून 2023 में दी गई मंजूरी को देखते हुए येदियुरप्पा के खिलाफ भी जांच को मंजूरी दी जानी चाहिए।
कर्नाटक कैबिनेट ने गुरुवार को राज्यपाल थावर चंद गहलोत से सिफारिश की है कि वह पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में जांच की मंजूरी न देने के अपने 2021 के फैसले पर पुनर्विचार करें। यह मामला 2020 में सामाजिक कार्यकर्ता टी. जे. अब्राहम द्वारा दायर शिकायत पर आधारित है, जिसमें येदियुरप्पा, उनके परिवार के सदस्यों और सहयोगियों पर बेंगलुरु विकास प्राधिकरण (BDA) के एक टर्नकी हाउसिंग प्रोजेक्ट में 12 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था। कैबिनेट की बैठक के बाद कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच. के. पाटिल ने कहा कि “कैबिनेट ने विस्तृत चर्चा के बाद यह निर्णय लिया है कि राज्यपाल से 2021 के उनके निर्णय को वापस लेने और अब्राहम की याचिका पर पुनर्विचार करने की सिफारिश की जाए।”
क्या है मामला?
शिकायत के अनुसार, रामलिंगम कंस्ट्रक्शन कंपनी प्रा. लिमिटेड ने येदियुरप्पा और अन्य को 12 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी। इस रिश्वत को कथित तौर पर BDA आयुक्त जी. सी. प्रकाश के माध्यम से पहुंचाया गया। आरोपों में येदियुरप्पा के बेटे और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र और उनके पोते शशिधर मराडी का नाम भी शामिल है। हालांकि राज्यपाल ने जांच की मंजूरी नहीं दी थी, लेकिन कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई के निर्देश दिए। इसके बाद सितंबर 2022 में लोकायुक्त द्वारा जांच शुरू की गई।
कैबिनेट का पक्ष
कैबिनेट का मानना है कि इस मामले में अन्य आरोपियों के खिलाफ चल रही जांच और जी. सी. प्रकाश के खिलाफ जून 2023 में दी गई मंजूरी को देखते हुए येदियुरप्पा के खिलाफ भी जांच को मंजूरी दी जानी चाहिए। कैबिनेट ने कहा, "यदि मुख्य आरोपी को जांच से बाहर रखा गया तो जांच का कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा। राज्यपाल का यह निर्णय मात्र औपचारिकता बनकर रह जाएगा।”
राज्यपाल और कांग्रेस सरकार में टकराव
पिछले कुछ महीनों में राज्यपाल और कांग्रेस सरकार के बीच मतभेद बढ़े हैं। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी राज्यपाल ने तेजी से दी थी, जबकि बीजेपी नेताओं के मामलों में मंजूरी लंबित रही। कांग्रेस ने राज्यपाल गहलोत पर कांग्रेस नेताओं के खिलाफ "तथाकथित शिकायतों" पर कार्रवाई और विपक्षी नेताओं को बचाने का आरोप लगाया है।