पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव में चीन खामोश क्यों? रक्षा विशेषज्ञ ने बताया
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए रक्षा विशेषज्ञ का मानना है कि चीन का प्रत्यक्ष रूप से इस अस्थिरता में हस्तक्षेप करने की संभावना कम है।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी। इस हमले ने न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर में हड़कंप मचा दिया। भारत ने भी मामले में ऐक्शन लेते हुए आतंकियों के खिलाफ ऐक्शन शुरू कर लिया है। हमले में पाकिस्तान कनेक्शन हो सकता है और 26/11 हमले जैसी साजिश के भी संकेत हैं। इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शुरू हुए भयंकर तनाव के बीच इस बात की चर्चा सबसे ज्यादा है कि चीन की क्या भूमिका हो सकती है? चीन और पाकिस्तान में दोस्ती को दुनिया जानता है, ऐसे में चीन क्या कर सकता है? भारतीय सेना के पूर्व कमांडर ने चीन के संभावित कदमों या खामोशी पर अपनी राय जाहिर की है।
पूर्वी कमान के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राणा प्रताप कालिता ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि चीन का पाकिस्तान और भारत के बीच चल रहे संघर्ष में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होने की संभावना कम है। उन्होंने कहा कि इस समय की भूराजनीतिक परिस्थितियां और व्यापारिक जटिलताएं चीन के लिए इस संघर्ष में शामिल होना कठिन बना देती हैं।
गलवान संघर्ष के बाद संबंध सुधरे
उन्होंने कहा कि गलवान 2020 घटना के बाद दोनों देशों के बीच बहुत सारी चर्चाओं और विचार-विमर्श के बाद आखिरी तनावपूर्ण बिंदु पर गतिरोध को हल कर लिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि "नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया चल रही है और द्विपक्षीय संवाद में सुधार हुआ है, जिसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा की फिर से शुरुआत और सीधी उड़ानों के बारे में चर्चा हो रही है।"
ट्रंप के टैरिफ हमले से आहत चीन
कालिता ने कहा कि अमेरिका द्वारा व्यापार शुल्कों में वृद्धि के कारण चीन पर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती है। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है। उन्होंने यह भी बताया कि चीन और भारत दोनों ही निर्माण के बड़े केंद्र हैं और बड़ी उपभोक्ता बाजार हैं, ऐसे में व्यापार शुल्कों में बदलाव का असर दोनों देशों पर महसूस किया जाएगा। चीन और भारत के बीच व्यापार शुल्क वृद्धि के प्रभाव को लेकर चर्चा भी हुई थी।
चीन और पाकिस्तान में दोस्ती
उन्होंने आगे कहा, "चीन और पाकिस्तान के बीच दोस्ती जगजाहिर है, लेकिन अभी यह कहना कि चीन पाकिस्तान के साथ सीधे तौर पर इस संघर्ष में शामिल होगा, फिलहाल मुश्किल है।" कालिता ने अंत में यह भी कहा कि भारतीय सशस्त्र बल किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं और "पूर्वी क्षेत्र में किसी भी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए प्रतिक्रिया तंत्र तैयार किया गया है।"
बांग्लादेश सीमा पर बढ़ती सुरक्षा चुनौतियां
कालिता ने बांग्लादेश की सरकार के बदलाव के बाद बांग्लादेश सीमा पर बढ़ते सुरक्षा खतरों की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में बढ़ती धार्मिक कट्टरता और आतंकवादी समूहों के नेता जिनको हाल ही में रिहा किया गया है, भारत के लिए चिंता का विषय हैं।
पूर्वोत्तर क्षेत्र में सुरक्षा खतरे
भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में सीमा सुरक्षा को लेकर भी कालिता ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से होने वाली अवैध घुसपैठ और धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने के कारण असम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। इसके अलावा, बांग्लादेश में आतंकी शिविरों के पुनर्निर्माण की संभावना भी एक बड़ा खतरा है।