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चीन के बांध ने बदल दी पृथ्वी की रफ्तार, अब ब्रह्मपुत्र पर 'प्रलय का सामान' तैयार करेगा ड्रैगन

  • नासा ने अपनी रिपोर्ट में दावा है कि चीन के थ्री गार्जेस डैम की वजह से धरती की घूर्णन गति कम हो गई है। वहीं अब चीन इससे भी तीन गुना बड़ा डैम बनाने जा रहा है।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानFri, 10 Jan 2025 05:07 PM
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चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने का प्लान कर रहा है। जानकारों का कहना है कि यह बांध तीव्र भूकंप संभावित क्षेत्र में बनने जा रहा है जो कि प्रलय का सामान है। पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश भी इस बांध से प्रभावित होगा। वहीं चीन सफाई दे रहा है कि इससे भारत और बांग्लादेश पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ने जा रहा है। हाल ही में तिब्बत में तेज भूकंप आया जिससे भारी तबाही हुई। इसके बाद लोग इस बांध को लेकर काफी चिंतित हैं। इसी बीच नासा ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि चीन में मौजूद अब तक के सबसे बड़े बांध 'थ्री गार्जेस डैम' से पृथ्वी की घूमने की गति प्रभावित हो गई है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नासा ने दावा किया है, बांध की वजह से धरती की घूमने की रफ्तार 0.06 माइक्रोसेकंड कम हो गई। नासा का कहना है कि एक डैम की वजह से धरती की घूर्णन गति में आया यह बदलाव भले ही मामूली लगता हो लेकिन यह चिंता का कारण बन सकता है। इंसान की किसी गतिविधि की वजह से अगर प्रकृति में इतना बड़ा बदलाव आ रहा है तो यह प्रलय का संकेत भी हो सकता है। धरती की घूमने की गति से ना केवल ग्रहीय बल्कि अंतरग्रहीय गतिविधियां भी जुड़ी हो सकती हैं।

नासा का कहना है कि जब डैम में बड़ी मात्रा में जल संग्रहित हो जाता है तो धरती पर भार का वितरण बदल जाता है। ऐसे में जड़त्व आघूर्ण पैदा होता है जो कि घूर्णन गति को कम करने का काम करता है। नासा का कहना है कि अगर भार ध्रुवों की ओर खिसक जाए तो घूर्णन गति बढ़ जाएगी। वहीं जब यह भूमध्य रेखा की ओर होता है तो रफ्तार कम हो जाती है। बता दें की चीन का गार्जेस डैम यांग्त्जी नदी पर बना है। यह डैम 607 मीटर ऊंचा है और 2 किलोमीटर लंबा है। इससे चीन बड़ी मात्रा में बिजली पैदा करता है।

अब चीन तिब्बत में गार्जेस डैम से भी बड़ा डैम बनाने में लगा हुआ है। हिमालयी इलाकों में स्थित डैम पहले से ही बड़ी चुनौती बने हुए हैं। हिमालय के क्षेत्र में भूकंप लगातार बढ़ रहे हैं। चीन का नया डैम थ्री गार्जेस डैम से तीन गुना बड़ा होगा। इससे 34 गीगावाट बिजली बनाने की तैयारी है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के ही एक जानकार फैन जियाओ का कहना है कि तगड़े भूकंप से यह बांध क्षतिग्रस्त भी हो सकता है। चीन का कहना है कि यह डैम कार्बन एमिशन को कम करने में बड़ा सहयोग करेगा। जानकारों का कहना है कि अगर भूकंप की वजह से डैम डैमेज होता है तो यह पूर्वोत्तर के कई राज्यों को डुबो सकता है। ऐसे में पर्यावरण से जुड़े जानकार इसे जल प्रलय का आमंत्रण मान रहे हैं।

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