धरती पर पहुंचा सौर तूफान, रात में रंग-बिरंगा हो गया आसमान; जानें क्या होता है ऑरोरा
- ऑरोरा सौर तूफान के धरती के चुंबकी क्षेत्र से टकराने की वजह से बनता है। जब सूर्य से चली ऊर्जा, इलेक्ट्रॉन वायुमंडल की नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से टकराते हैं तो आसमान रंग बिरंगा हो जाता है।
एक शक्तिशाली सौर तूफान के पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराने की वजह से लेह के आसमान में अद्भुत नजारा दिखाई दिया। आसमान ऑरोरा की वजह से चमक उठा। जानकारों के मुताबिक 10 अक्टूबर को कोरोनल मास इजेक्शन 24 लाख किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से पृथ्वी पर पहुंच गया। लेह की तरह ही अमेरिका के अलबामा और न्यू मैक्सिको में भी ऑरोरा देख गया।
लेह में स्थिति देश की सबसे ऊंची ऑब्जरवेटरी हान्ले से इस अद्भुत नजारे को देखा गया। दरअसल जब सूर्य पर कोरोनल मास इजेक्शन की वजह से ऊर्जा पृथ्वी के वातावरण में मौजूद नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से टकराती है तो इसका रंग नीला, हरा और लाल हो जाता है। लेह में लाल ऑरोरा देखा गया और इसे इंडियन डिपार्टमेंट ऑफ साइंस ऐंड टेक्नॉलजी के टेलिस्कोप से कैप्चर किया गया।
9 अक्टूबर को सूर्य पर भूचुंबकीय तूफान की वजह से यह घटना हुई। यह तूफान 15 लाख मील प्रतिघंटे की रफ्तार से पृथ्वी तक पहुंचा। नेशनल ओशियनिक ऐंड एटमास्फेरिक ऐडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के मुताबिक यह जी-4 तूफान था जो कि कई बार पावर ग्रिड भी फेल कर देता है। इसके अलावा सैटलाइट ऑपरेशन भी बाधित हो जाता है। 11 साल के अंतराल पर सूर्य पर इस तरह की गतिविधियां तेज हो जाती हैं। 2025 में बड़ा सौर तूफान आने की संभावना है जिसका असर 2026 तक दिखाई देगा।
ऑरोरा को एक प्राकृतिक लाइट शो कहा जा सकता है। आम तौर पर यह ध्रुवीय इलाकों मेंदिखाी देता है। सूर्य से निकले कण जब पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराते हैं तो वायुमंडल की गैसों जैसे की ऑक्सीजन और नाइट्रोजन में चमक पैदा हो जाती है। यह नजारा देखने में बेहद अद्भुत होता है लेकन इस तरह के सौर तूफान पावर ग्रिड को फेल कर सकते हैं। इसके अलावा अंतरिक्ष यात्रा में भी बाधा पैदा कर सकते हैं।