कोरोना के बाद सरकारी स्कूलों से बच्चों की दूरी, प्राइवेट स्कूलों में फिर लौटी रौनक; क्यों बदला रुझान
- ASER 2024 रिपोर्ट के अनुसार, 6-14 वर्ष के बच्चों का सरकारी स्कूलों में नामांकन 2018 के स्तर पर लगभग वापस आ गया है। प्राइमरी स्तर पर बच्चों की पढ़ाई के स्तर में सुधार हुआ है और कुछ मामलों में यह पिछले स्तरों से भी बेहतर है।
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कोरोना महामारी के दौरान सरकारी स्कूलों में भर्ती बढ़ने का जो रुझान देखा गया था, वह अब उलट गया है। देश में शिक्षा को लेकर सालाना स्थिति पर आई ASER 2024 रिपोर्ट के अनुसार, 6-14 वर्ष के बच्चों का सरकारी स्कूलों में नामांकन 2018 के स्तर पर लगभग वापस आ गया है। यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई, जिसमें यह भी बताया गया कि प्राइमरी स्तर पर बच्चों की पढ़ाई के स्तर में सुधार हुआ है और कुछ मामलों में यह पिछले स्तरों से भी बेहतर है।
रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन 2018 के 65.6% से बढ़कर 2022 में 72.9% हो गया था। लेकिन अब यह संख्या घटकर 66.8% पर आ गई है। निजी स्कूलों में नामांकन, जो 2006 में 18.7% था, 2014 में बढ़कर 30.8% हो गया था और अब इसमें लगातार वृद्धि देखी जा रही है। यह बदलाव ग्रामीण भारत में भी स्पष्ट रूप से दिखता है। गौरतलब है कि कोरोना के दौरान मोटी फीस वसूलने और कक्षाओं के न चलने की वजह से बहुत से अभिभावकों ने अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूल में कराया था।
बच्चों में स्मार्टफोन का इस्तेमाल चिंताजनक
ASER रिपोर्ट ने यह भी खुलासा किया कि 14-16 वर्ष के 82% बच्चे स्मार्टफोन चलाना जानते हैं, लेकिन उनमें से केवल 57% बच्चे ही इसे पढ़ाई के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसके बावजूद, शिक्षा के स्तर में महामारी के दौरान आई गिरावट से पूरी तरह उबरने के संकेत मिले हैं।
प्राथमिक कक्षाओं में सुधार
रिपोर्ट के मुताबिक, कक्षा 3 के बच्चों में कक्षा 2 के स्तर की पढ़ाई करने की क्षमता 2022 के 20.5% से बढ़कर 2024 में 27.1% हो गई है। इसी तरह, कक्षा 5 के बच्चों में पढ़ाई का स्तर भी 2022 के 42.8% से बढ़कर 48.8% पर पहुंच गया है।
उत्तर प्रदेश और बिहार ने किया चौंकाने वाला सुधार
रिपोर्ट में कहा गया कि तमाम राज्यों ने 2022 की तुलना में सुधार किया है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है और कुछ ने तो कोविड के पहले के स्तरों को भी पार कर लिया है।
गौरतलब है कि यह रिपोर्ट देश के 605 जिलों के 17,997 गांवों में 6,49,491 बच्चों से बातचीत पर आधारित है। इसे एनजीओ 'प्रथम' द्वारा संचालित किया गया, जिसमें स्थानीय संगठनों की मदद से आंकड़े जुटाए गए।