ड्रग तस्करी केस में एलन मस्क से मदद क्यों मांग रही अंडमान पुलिस, भारत के लिए कैसे खतरे की घंटी
पिछले हफ्ते भारतीय तटरक्षक बल के साथ मिलकर अंडमान एवं निकोबार पुलिस ने 6,000 किलोग्राम से अधिक मेथामफेटामाइन बरामद किया था तथा मादक पदार्थ के अंतरराष्ट्रीय गिरोह के बर्मी मूल के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया था।
अंडमान निकोबार पुलिस ने देश में मादक पदार्थों की सबसे बड़ी एकल बरामदगी के मामले में ड्रग तस्करों को पता लगाने के लिए अब अमेरिकी अरबपति और स्टारलिंक के मालिक एलन मस्क से मदद मांगने का फैसला किया है। अंडमान पुलिस ने मंगलवार को कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करों का पता लगाने के लिए एलन मस्क की स्टारलिंक से विवरण मांगेगी, जिन्होंने गहरे समुद्र में नेविगेट करने और पहली बार भारतीय जल में 4.25 बिलियन डॉलर यानी 3,59,90 करोड़ रूपये मूल्य की मेथ लाने के लिए स्टारलिंक के सैटेलाइट इंटरनेट डिवाइस का इस्तेमाल किया था।
पिछले हफ्ते भारतीय तटरक्षक बल के साथ मिलकर अंडमान एवं निकोबार पुलिस ने 6,000 किलोग्राम से अधिक मेथामफेटामाइन बरामद किया था तथा मादक पदार्थ के अंतरराष्ट्रीय गिरोह के बर्मी मूल के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया था। इस तस्करी के लिए विशेष रुप से तैयार की गयी उनकी नौका जब्त की गयी थी। देश में मादक पदार्थों की यह सबसे बड़ी एकल बरामदगी है।
इस जब्ती के कुछ दिनों बाद जांचकर्ताओं ने पाया कि तस्करों ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में अपने संपर्कों को कई कॉल की थी जिनमें उत्तर भारत का एक व्यक्ति भी था। तस्करों ने अपने सिस्टम में दक्षिण अंडमान के नील द्वीप और मध्य अंडमान में रंगत के नौवहन विवरण भी दर्ज कर लिए थे। पुलिस महानिदेशक हरगोबिंदर सिंह धालीवाल ने कहा, ‘‘हमारी जांच से पता चला कि उन्होंने इंडोनेशिया में सुमात्रा के नौवहन विवरण और अंडमान में नील द्वीप और रंगत के नौवहन विवरण भी (अपने सिस्टम में) दर्ज कर लिये थे। यह आश्चर्य की बात थी क्योंकि ऐसा माना गया था कि यह खेप भारत के लिए नहीं थी। हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने अंडमान में इन दो स्थानों के विवरण क्यों दर्ज किये थे।’’
इस घटना ने भारत के तटीय इलाकों खासकर अंडमान निकोबार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है क्योंकि यह पहली बार है जब स्टारलिंक के उपकरण का इस्तेमाल भारतीय जल क्षेत्र में नेविगेट करने और पहुंचने के लिए किया गया है। धालीवाल ने कहा कि अभी इस बात की जांच की जा रही है कि कहीं उनकी योजना इस खेप के एक हिस्से को अंडमान में उतारने की तो नहीं थी। धालीवाल ने कहा, ‘‘दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में लोगों को कॉल करने के अलावा तस्करों ने उत्तर भारत में एक व्यक्ति से भी संपर्क किया। हमने संबंधित एजेंसियों को सतर्क कर दिया है और इस व्यक्ति के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि जांच के तहत पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि तस्कर समुद्र में जिस स्टारलिंक इंटरनेट उपकरण का इस्तेमाल कर रहे थे उसे किसने खरीदा था और कब खरीदा था और इसके उपयोग का पुराना इतिहास क्या है। बता दें कि स्टारलिंक एलन मस्क द्वारा स्थापित एयरोस्पेस कंपनी ‘स्पेसएक्स’ की ओर से प्रदान की जाने वाली एक सेवा है। यह एक अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार प्रदाता कंपनी है जो भारत छोड़कर 100 से अधिक देशों में कवरेज प्रदान करती है। फिलहाल गिरफ्तार किये गए विदेशी तस्कर पुलिस की हिरासत में हैं।
23 नवंबर को नियमित गश्त के दौरान तटरक्षक ‘डोर्नियर’ विमान के एक पायलट ने पोर्ट ब्लेयर से करीब 150 किमी दूर बैरन द्वीप के पास मछली पकड़ने वाली एक नौका (ट्रॉलर) की संदिग्ध गतिविधि देखी थी। नौका को गति धीमी करने की चेतावनी दी गई और पायलट ने अंडमान और निकोबार कमांड को इसकी सूचना दी। इसके बाद पास में ही मौजूद एक तेज गश्ती जहाज आगे बढ़ा और नौका को आगे की जांच के लिए 24 नवंबर को पोर्ट ब्लेयर ले गया। अधिकारियों को संदेह है कि नशीली दवाओं की खेप कुख्यात अंतरराष्ट्रीय गिरोहों से जुड़ी हो सकती है, जिनमें त्से ची लोप (चीनी एल चापो) या नेमेसियो ओसेगुएरा सर्वेंटेस (एल मेनचो) जैसे गिरोह हो सकते हैं। (भाषा इनपुट्स के साथ)