Hindi Newsदेश न्यूज़Allegations of bribing officials wrong Naveen Patnaik party BJD shies away from Adani case

अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप गलत, अडानी मामले से नवीन पटनायक की पार्टी BJD ने झाड़ा पल्ला

  • अमेरिकी न्याय विभाग ने भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति अडानी तथा उनके भतीजे सागर अडानी सहित सात अन्य पर महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है।

Himanshu Tiwari भाषाFri, 22 Nov 2024 05:35 PM
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ओडिशा में वर्ष 2000 से जून 2024 तक सत्ता में रहे बीजू जनता दल (बीजद) ने शुक्रवार को कहा कि ये आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं कि राज्य सरकार के अधिकारियों ने सेंट्रल ग्रीड से राज्य को ऊर्जा की आपूर्ति के लिए अडानी समूह से रिश्वत ली। अमेरिकी न्याय विभाग ने भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति अडानी तथा उनके भतीजे सागर अडानी सहित सात अन्य पर महंगी सौर ऊर्जा खरीदने के लिए आंध्र प्रदेश और ओडिशा के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। हालांकि, इसमें अधिकारियों के नाम का खुलासा नहीं किया गया है। इन परियोजनाओं से समूह को 20 साल से अधिक समय में दो अरब डॉलर से अधिक लाभ होने की उम्मीद है।

हालांकि, अडानी समूह ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि अमेरिकी अभियोजकों द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं और समूह सभी कानूनों का अनुपालन करता है। ओडिशा के पूर्व ऊर्जा मंत्री और बीजद विधायक पी के देब ने कहा, ‘‘ओडिशा के नाम पर लगाए गए आरोप निराधार हैं और तथ्यों पर आधारित नहीं हैं।’’

देब ने कहा, ‘‘ओडिशा सरकार का इस समझौते से कोई लेना-देना नहीं है। जो भी समझौता हुआ, वह ग्रिडको, वितरण कंपनी और केंद्र सरकार के उपक्रम एसईसीआई (सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) के बीच ही सीमित रहा। इन सभी मामलों में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है, हालांकि प्रशासन को बिजली बिक्री समझौते (पीएसए) के बारे में सूचित किया गया था।’’

उन्होंने दावा किया कि ओडिशा और अन्य राज्यों के बीच अंतर है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने ओडिशा में बिजली वितरण का निजीकरण कर दिया है, जबकि अन्य राज्य सीधे तौर पर यह काम कर रहे हैं। यहां टाटा पावर बिजली आपूर्ति का वितरण कार्य कर रही है।’’ उन्होंने कहा कि समझौते में अडानी, एसईसीआई, ग्रिडको और वितरण कंपनी शामिल हो सकती है।

देब ने कहा, ‘‘बिजली से जुड़े सभी समझौतों को स्वायत्त संस्था ओईआरसी (ओडिशा विद्युत विनियामक आयोग) की मंजूरी मिलती है। ग्रिडको भी अर्द्ध-स्वायत्त है। इसलिए, समझौतों में राज्य सरकार की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है। न तो ऊर्जा विभाग के मंत्री और न ही सचिव ऐसे सभी समझौतों में शामिल होते हैं।’’ राज्य का सार्वजनिक उपक्रम ग्रिडको वर्तमान में ओडिशा के अंदर चार वितरण कंपनियों को बिजली की थोक खरीद और थोक बिक्री में लगा हुआ है और पड़ोसी राज्यों के साथ बिजली के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए कारोबारियों के माध्यम से अधिशेष बिजली का व्यापार कर रहा है।

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