Hindi Newsदेश न्यूज़All criminal cases registered against me should be cancelled Brij Bhushan Sharan Singh knocked at the door of Delhi HC

मेरे खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामले रद्द हों; बृजभूषण शरण सिंह ने खटखटाया दिल्ली HC का दरवाजा

  • बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी याचिका में यह भी मांग की है कि दिल्ली की निचली अदालत द्वारा उनके खिलाफ तय किए गए आरोपों को भी खारिज किया जाए। याचिका पर गुरुवार को न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की अदालत में सुनवाई होनी है।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानThu, 29 Aug 2024 05:43 AM
share Share

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने याचिका दायर कर उनके खिलाफ चल रही सभी आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने की मांग की है। उन पर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का भी आरोप है।

बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी याचिका में यह भी मांग की है कि दिल्ली की निचली अदालत द्वारा उनके खिलाफ तय किए गए आरोपों को भी खारिज किया जाए। याचिका पर गुरुवार को न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की अदालत में सुनवाई होनी है।

बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ जून 2023 में आरोपपत्र दाखिल किए जाने के एक साल बाद जुलाई में मामले की सुनवाई शुरू हुई थी। उनके द्वारा खुद को निर्दोष बताने के बाद निचली अदालत ने इस साल मई में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 354 और 354ए (यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप तय किए थे।

उनके खिलाफ छह महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न, मारपीट और पीछा करने के लिए 1,500 पन्नों की चार्जशीट में चार राज्यों के कम से कम 22 गवाहों के बयान शामिल थे। इनमें पहलवान, एक रेफरी, एक कोच और एक फिजियोथेरेपिस्ट शामिल थे।

कुश्ती महासंघ के निलंबन पर जवाब को समय मिला

दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निलंबन को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब देने के लिए केंद्र को बुधवार को चार सप्ताह का समय दिया। केंद्र ने निर्णय लेने में स्वयं के संविधान का पालन न करने पर नए पदाधिकारी चुने जाने के तीन दिन बाद 24 दिसंबर 2023 को डब्ल्यूएफआई निलंबित कर दिया था।

केंद्र ने कहा कि वह पिछले साल महासंघ में हुए चुनाव को चुनौती देने वाले कुछ पहलवानों की याचिका पर हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि केंद्र को अदालत के पहले के निर्देशों की परवाह नहीं है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें