राहुल गांधी को झूठ बोलने से रोकें और डांटें-डपटें, चुनाव आयोग से BJP ने क्यों की ऐसी मांग
भाजपा ने पिछले सप्ताह मुंबई में दिए गए राहुल गांधी के भाषण के एक हिस्से का हवाला देते हुए उन पर आदर्श आचार संहिता के घोर उल्लंघन का आरोप लगाया है और चुनाव आयोग से इस बाबत सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अगले सप्ताह महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है और अपील की है कि नेता विपक्ष राहुल गांधी को चुनाव प्रचार के दौरान झूठ बोलने से रोकें और डांटें-डपटें। भाजपा ने पिछले सप्ताह मुंबई में दिए गए राहुल गांधी के भाषण के एक हिस्से का हवाला देते हुए उन पर आदर्श आचार संहिता के घोर उल्लंघन का आरोप लगाया है और चुनाव आयोग से इस बाबत सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
सोमवार की दोपहर चुनाव आयोग को दी गई लिखित शिकायत में भाजपा ने कहा कि राहुल गांधी ने यह झूठा आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र राज्य की परियोजनाएं छीनकर कथित रूप से दूसरे राज्यों में भेजी गई हैं। आयोग को दी गई शिकायती चिट्ठी में भाजपा ने कहा है कि राहुल गांधी के ये दावे गलत और बेबुनियाद हैं कि एप्पल के आईफोन और बोइंग हवाई जहाज महाराष्ट्र की बजाय अन्य राज्यों में बनाए जा रहे हैं।
भाजपा ने चुनाव आयोग से राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज करने का निर्देश देने की भी मांग की। आयोग के शीर्ष अधिकारियों से मिलने वाले बीजेपी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया। आयोग से निकलने के बाद मीडिया से उन्होंने कहा, “हमने आयोग को बताया कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में झूठ बोला है कि भाजपा संविधान को कुचलना चाहती है।”
सत्तारूढ़ पार्टी ने अपनी शिकायती चिट्ठी में लिखा, "जैसा कि अपेक्षित था, तथा उनके प्रचार और सामान्य आचरण के विशिष्ट पैटर्न के अनुरूप, राहुल गांधी का भाषण झूठ और मिथ्या से भरा हुआ है, जिसका उद्देश्य भारत संघ के राज्यों के बीच असंतोष, शत्रुता और दुर्भावना पैदा करना है। राहुल गांधी महाराष्ट्र और अन्य राज्यों के लोगों के बीच विभाजन पैदा करना चाहते हैं।" भाजपा ने शिकायत की कि महाराष्ट्र में चुनाव में चुनावी लाभ हासिल करने के लिए राहुल लगातार भाजपा के खिलाफ झूठे, अपुष्ट और निराधार आरोप लगा रहे हैं।
भाजपा ने अप्रैल-जून के आम चुनाव से पहले जारी किए गए चुनाव आयोग के 1 मार्च की एडवायजरी का हवाला दिया, जिसमें सभी राजनीतिक नेताओं से "चुनाव प्रचार में अत्यंत संयम और शालीनता बरतने तथा चुनाव प्रचार के स्तर को 'मुद्दे' आधारित बहस तक बढ़ाने का आग्रह किया गया था।