22 दिन के बच्चे को गर्म सलाखों से 65 बार दागा, अंधविश्वास के नाम पर मासूम के साथ किया गजब
- महाराष्ट्र के अमरावती जिले के चिखलदरा तालुका के सीमोरी गांव में एक 22 दिन के मासूम को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, लेकिन सही इलाज कराने के बजाय उसे गर्म सलाखों से 65 बार दाग दिया गया।

आज के वक्त में भी अंधविश्वास की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका दर्दनाक उदाहरण हाल ही में देखने का मिला है। महाराष्ट्र के अमरावती जिले के चिखलदरा तालुका के सीमोरी गांव में एक 22 दिन के मासूम को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, लेकिन सही इलाज कराने के बजाय उसे गर्म सलाखों से 65 बार दाग दिया गया। मासूम का नन्हा शरीर तड़पता रहा, चीखें गूंजती रहीं, लेकिन अंधविश्वास के अंधे लोगों की आंखें नहीं खुलीं।
हालत बिगड़ने के बाद जब उसे अस्पताल ले जाया गया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। फिलहाल बच्चा अमरावती अस्पताल के आईसीयू में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है। लोकमत की रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार, 25 फरवरी को गंभीर हालत में उसे अमरावती अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज जारी है।
डॉक्टरों के मुताबिक, बच्चे को जन्मजात हृदय संबंधी समस्या हो सकती है, जिससे उसकी सांस लेने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही थी। चिकित्सा जांच में उसके दिल की धड़कनों में अनियमितता पाई गई, जिसके लिए 2डी इको टेस्ट की जरूरत बताई गई। अगर समय पर सही इलाज मिलता, तो इस मासूम को इतनी पीड़ा सहनी नहीं पड़ती। लेकिन अंधविश्वास की जकड़ ने न सिर्फ उसकी तकलीफ बढ़ा दी, बल्कि उसकी जान को भी खतरे में डाल दिया।
बताया जाता है कि मेलघाट क्षेत्र में जहां यह घटना घटी, वहां अब भी गहरी जड़ें जमा चुके अंधविश्वास और पारंपरिक इलाज के तरीके लोगों की सोच पर हावी हैं। कई बार झोलाछाप डॉक्टर और स्थानीय ओझा-गुनी लोग इलाज के नाम पर मासूमों और मरीजों को अमानवीय यातनाएं देते हैं।