Hindi Newsमहाराष्ट्र न्यूज़Who is RSS leader Atul Limaye who is being called the engineer of Maharashtra victory

कौन हैं संघ के नेता अतुल लिमये, जिन्हें बताया जा रहा महाराष्ट्र की जीत का इंजीनियर

  • महायुति की ऐतिहासिक जीत के पीछे एक नाम जो सबसे प्रमुख रूप से उभर कर सामने आया है, वह है अतुल लिमये। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव अतुल लिमये ने अपनी कुशल रणनीति और विचारधारा आधारित नेतृत्व से इस चुनावी जीत की नींव रखी।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानSat, 23 Nov 2024 03:50 PM
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों के रुझानों में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुती जीत के करीब है। खबर लिखे जाने तक महायुति 195 सीटों पर आगे है। महायुति की ऐतिहासिक जीत के पीछे एक नाम जो सबसे प्रमुख रूप से उभर कर सामने आया है, वह है अतुल लिमये। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संयुक्त महासचिव और 54 साल के इंजीनियर अतुल लिमये ने अपनी कुशल रणनीति और विचारधारा आधारित नेतृत्व से चुनावी जीत की नींव रखी। नासिक, महाराष्ट्र के रहने वाले लिमये ने लगभग तीन दशक पहले अपनी मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर खुद को आरएसएस के फुलटाइम प्रचारक के रूप में झोंक दिया।

सोशल इंजीनियरिंग से आसान बनाई राह

लिमये ने वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध युवा पुरुषों और महिलाओं की एक बड़ी टीम का नेतृत्व किया। उनके निर्देशन में अध्ययन समूह, शोध दल, और थिंक टैंक बनाए गए, जो मुस्लिम और ईसाई समुदायों की जनसांख्यिकी से लेकर सरकारी नीतियों के निर्माण तक विभिन्न मुद्दों पर काम करते थे। इन प्रयासों ने 2017 के मराठा आरक्षण आंदोलन और 2018 के 'अर्बन नक्सल' संकट जैसे बड़े सामाजिक मुद्दों से निपटने में राज्य सरकार को अमूल्य जानकारी प्रदान की।

महाराष्ट्र चुनाव 2024 में भी निभाई भूमिका

संघ के संयुक्त महासचिव के रूप में अतुल लिमये ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में पर्दे के पीछे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने संघ के प्रचार तंत्र से जुड़े व्यक्तियों को एक मंच पर लाने का कार्य किया और आरएसएस की शाखा-स्तरीय कार्यकर्ताओं को इस चुनौतीपूर्ण चुनाव में सक्रिय किया। यह चुनाव हिंदुत्व विचारधारा के लिए हालिया समय की सबसे बड़ी राजनीतिक चुनौती माना जा रहा था, जिसमें लिमये की रणनीति ने निर्णायक भूमिका निभाई।

कैसा रहा अतुल लिमये का शुरुआती करियर

अतुल लिमये का कार्यक्षेत्र शुरू में पश्चिमी महाराष्ट्र, रायगढ़ और कोंकण क्षेत्र तक सीमित था। इसके बाद, उन्होंने देवगिरी प्रांत (मराठवाड़ा और उत्तर महाराष्ट्र) के सह प्रांत प्रचारक के रूप में काम किया। इस दौरान उन्हें महाराष्ट्र के ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों को करीब से समझने का अवसर मिला। 2014 में महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार बनने के दौरान वह पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्र के प्रमुख थे, जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा शामिल थे। इस भूमिका में रहते हुए, लिमये ने राज्य की राजनीतिक संरचना, भाजपा नेतृत्व की ताकत और विपक्ष की कमजोरियों को गहराई से समझा। उन्होंने कई शैक्षणिक और सरकारी संस्थानों में प्रमुख पदों पर नियुक्तियों में अहम भूमिका निभाई।

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