नांदेड़ के अस्पताल में नहीं थमीं मौतें, 8 दिन में 108 कैजुअल्टी; सामने आई बड़ी लापरवाही
नांदेड़ के अस्पताल में मौतों का सिलसिला थमा नहीं है। बीते आठ दिनों में 108 मरीजों की मौत हुई है। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम का कहना है कि एनआईसीयू में 65 मरीजों पर केवल 3 नर्स हैं।
महाराष्ट्र के नांदेड़ के सरकार अस्पताल में बीते 8 दिनों में 108 मरीजों की मौत हो चुकी है। जानकारी के मुताबिक बीते 24 घंटे में ही एक शिशु समेत 11 मरीजों की मौत हो गई। वहीं डॉ. शंकरराव चव्हाण गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के डीन श्याम वाकोडे का कहना है कि अस्पताल में दवाइयों की कोई कमी नहीं है। डीन ने कहा कि 24 घंटे में 11 पेशंट्स देखे गए और इनमें से 191 को भर्ती किया गया। उन्होंने कहा कि पहले रोज की औसत मौत 13 थी जो कि कम होकर 11 हुई है। इसमें कई ऐसे बच्चे भी होते हैं जो कि जन्म से ही बीमारियों से ग्रसित होते हैं।
डीन ने कहा, हमारे पास पर्याप्त दवाई का स्टॉक है और स्टाफ भी मरीजों की पूरी देखभाल करता है। उन्होंने कहा कि बजट के हिसाब से दवाई स्टोर की जाती है। आम तौर पर तीन महीने का स्टॉक उपलब्ध रहता है। डीन ने कहा कि किसी भी मरीज की मौत दवाई की कमी की वजह से नहीं हुई बल्कि उनकी बिगड़ती हालत की वजह से हुई है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने उठाए सवाल
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने अस्पताल पर सवाल उठाते हुए कहा कि अस्पताल के नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में 60 बच्चे ऐडमिट थे और उनकी देखभाल के लिए केवल तीन नर्स थीं। तीन बच्चों के लिए एक ही वॉर्मर का इस्तेमाल किया जा रहा था। भोकार के विधायक ने भी कहा कि अस्पताल के एनआईसीयू में केवल तीन नर्सें थीं।
बता दें कि नांदेड़ के अस्पताल में 48 घंटे में ही 31 मरीजों की मौत का मामला सामने आयया था और इसके बाद डीन के साथ एक अन्य डॉक्टर के खिलाफ धारा 304 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। 31 मरीजों में 16 बच्चे शामिल थे। यह भी बताया गया था कि एनआईसीयू में 24 बच्चों के लिए ही बिस्तर स्वीकृत हैं जबकि यहां 65 मरीजों का इलाज चल रहा था।