Notification Icon
Hindi Newsमहाराष्ट्र न्यूज़Kangana Ranaut Emergency Issue Is Central Ruling Party Against its Own MP Asks Bombay High Court

अपनी ही सांसद के खिलाफ काम कर रही BJP? कंगना रनौत की 'इमरजेंसी' पर हाई कोर्ट का सवाल

  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि फिल्म की सह-निर्माता रनौत स्वयं भाजपा की सांसद हैं और क्या सत्तारूढ़ पार्टी अपने सांसद के खिलाफ काम कर रही है?

Madan Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईThu, 19 Sep 2024 09:26 AM
share Share

बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि रचनात्मक आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता और सेंसर बोर्ड कानून-व्यवस्था खराब होने की आशंका के कारण किसी फिल्म को सर्टिफिकेट देने से इनकार नहीं कर सकता। जस्टिस बीपी कोलाबावाला और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने कंगना रनौत की फिल्म 'इमरजेंसी' को सर्टिफिकेट जारी करने के सिलसिले में फैसला नहीं लेने पर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के प्रति नाराजगी व्यक्त की और 25 सितंबर तक निर्णय लेने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि कंगना रनौत बीजेपी सांसद हैं, ऐसे में क्या सत्तारूढ़ पार्टी अपनी ही सांसद के खिलाफ काम कर रही है?

बेंच ने पूछा कि क्या सीबीएफसी को लगता है कि इस देश के लोग इतने भोले-भाले हैं कि वे फिल्म में दिखाई गई हर बात पर विश्वास कर लेंगे। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि सीबीएफसी राजनीतिक कारणों से फिल्म को प्रमाणपत्र जारी करने में देरी कर रहा है, इसपर हाई कोर्ट ने कहा, ''फिल्म की सह-निर्माता रनौत स्वयं भाजपा की सांसद हैं और क्या सत्तारूढ़ पार्टी अपनी सांसद के खिलाफ काम कर रही है? रनौत ने फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी की मुख्य भूमिका निभाने के अलावा इसका निर्देशन और सह-निर्माण भी किया है। अभिनेत्री ने इस सप्ताह की शुरुआत में सीबीएफसी पर रिलीज में देरी करने के लिए प्रमाणन में बाधा डालने का आरोप लगाया था।''

बेंच ने कहा, "आपको (सीबीएफसी) किसी न किसी तरह से निर्णय लेना ही होगा। आपके पास यह कहने का साहस होना चाहिए कि यह फिल्म रिलीज नहीं हो सकती। कम से कम तब हम आपके साहस और निर्भीकता की सराहना करेंगे। हम नहीं चाहते कि सीबीएफसी टालमटोल की मुद्रा में रहे।" अदालत जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीएफसी को फिल्म 'इमरजेंसी' के लिए प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

फिल्म पहले 6 सितंबर को रिलीज होने वाली थी, लेकिन शिरोमणि अकाली दल समेत सिख संगठनों की आपत्ति के बाद यह विवादों में घिर गई। इन संगठनों का आरोप है कि फिल्म में सिख समुदाय को गलत तरीके से और ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। इस महीने की शुरुआत में हाई कोर्ट ने सेंसर बोर्ड को फिल्म को तत्काल प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद पीठ ने सेंसर बोर्ड को 18 सितंबर तक फिल्म को प्रमाण पत्र जारी करने के बारे में निर्णय लेने का निर्देश दिया था।

गुरुवार को सीबीएफसी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने अदालत को बताया कि बोर्ड के अध्यक्ष ने फिल्म को अंतिम निर्णय के लिए पुनरीक्षण समिति को भेज दिया है। चंद्रचूड़ ने कहा कि सार्वजनिक अव्यवस्था फैलने की आशंका है। 'जी एंटरटेनमेंट' की ओर से वरिष्ठ वकील वेंकटेश धोंड ने कहा कि यह सिर्फ समय बर्बाद करने और यह सुनिश्चित करने के लिए किया गया है कि फिल्म अक्टूबर में हरियाणा चुनाव से पहले रिलीज न हो।

बेंच ने कहा कि सीबीएफसी ने उसके पिछले आदेश का पालन नहीं किया है और केवल एक विभाग से दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी डाल दी है। बेंच ने कहा कि सीबीएफसी को यह निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए कि कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका के चलते किसी फिल्म को प्रमाणपत्र नहीं दिया जा सकता। हाई कोर्ट ने कहा, "इसे रोकना होगा। अन्यथा हम यह सब करके रचनात्मक आजादी और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पूरी तरह से अंकुश लगा रहे हैं।" कोर्ट ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि लोग फिल्मों में दिखाए जाने वाले दृश्यों के प्रति इतने संवेदनशील क्यों हो गए हैं?

जस्टिस कोलाबावाला ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, "हमें समझ में नहीं आता कि लोग इतने संवेदनशील क्यों हैं। फिल्मों में हमेशा मेरे समुदाय का मजाक उड़ाया जाता है। हम कुछ नहीं कहते। हम बस हंसते हैं और आगे बढ़ जाते हैं।" चंद्रचूड़ ने दो सप्ताह का समय मांगा, जबकि अदालत ने कहा कि निर्णय 25 सितंबर तक लिया जाना है। धोंड ने कहा कि राजनीतिक कारणों से फिल्म को प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है।

पीठ ने राजनीतिक पहलू पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या याचिकाकर्ता यह दावा कर रहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी खुद रनौत के खिलाफ है, जो फिल्म की सह-निर्माता और भाजपा की लोकसभा सदस्य भी हैं। अदालत ने पूछा, "सह-निर्माता खुद भाजपा सांसद हैं। वह सत्तारूढ़ पार्टी की सदस्य भी हैं। तो आप कह रहे हैं कि उनकी अपनी पार्टी अपने सदस्य के खिलाफ है?" धोंड ने दावा किया कि सत्तारूढ़ पार्टी समाज के एक खास वर्ग को खुश करने के लिए एक मौजूदा सांसद को नाराज करने पर उतारू है। जी एंटरटेनमेंट ने अपनी याचिका में दावा किया कि सीबीएफसी ने पहले ही फिल्म के लिए प्रमाणपत्र तैयार कर दिया था, लेकिन इसे जारी नहीं कर रहा है।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें