महाराष्ट्र में बीजेपी को लग सकता है झटका, शरद पवार की एनसीपी का दामन थाम सकते हैं हर्षवर्धन पाटिल
- पुणे जिले के वरिष्ठ नेता पाटिल अजित पवार के कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं। पाटिल पुणे के इंदापुर विधानसभा क्षेत्र से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं।
बीजेपी नेता हर्षवर्धन पाटिल शरद पवार की पार्टी एनसीपी (शरद पवार गुट) में शामिल हो सकते हैं। गुरुवार को मुंबई में पवार के आवास पर उनसे मुलाकात के बाद पाटिल ने यह फैसला ले लिया है। मुलाकात के बाद उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल से भाजपा का नाम हटा दिया। उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा कि वह शुक्रवार को इसकी घोषणा करेंगे, लेकिन उन्होंने विस्तृत जानकारी नहीं दी।
पुणे जिले के वरिष्ठ नेता पाटिल अजित पवार के कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं। पाटिल पुणे के इंदापुर विधानसभा क्षेत्र से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उन्होंने 2014 में एनसीपी के दत्तात्रेय भरणे से हारने तक चार बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। गुरुवार को उन्होंने पवार से मुलाकात की, जहां माना जा रहा है कि अंतिम फैसला ले लिया गया है। वह पुणे के इंदापुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार होंगे। यह बारामती लोकसभा सीट के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है।
पाटिल 1995-1999 में सत्ता में रही शिवसेना-बीजेपी सरकार में मंत्री थे। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए। वे लगातार कांग्रेस सरकारों में मंत्री भी रहे। 2014 में उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन 2019 में वे बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़े। 2019 में उन्होंने लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले की उम्मीदवारी का समर्थन किया और विधानसभा चुनाव के दौरान इंदापुर सीट के लिए पवार का समर्थन मिलने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन जब एनसीपी ने फिर से भरणे को मैदान में उतारा, तो पाटिल बीजेपी में शामिल हो गए।
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में एनसीपी के उम्मीदवार दत्तात्रेय भरणे ने पाटिल को करीबी मुकाबले में हराया था। भरणे ने पिछले जुलाई में एनसीपी में हुए विभाजन के दौरान अपनी निष्ठा अजित पवार के पक्ष में कर ली थी। पार्टी महायुति सरकार में भी शामिल हो गई थी। पाटिल को एहसास हो गया था कि एनसीपी के पास सीट होने के कारण उन्हें बीजेपी से उम्मीदवारी नहीं मिल पाएगी। उन्होंने राज्य बीजेपी नेतृत्व को मनाने की कोशिश की लेकिन उन्हें सकारात्मक जवाब नहीं मिला जिसके बाद उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया।