ऐसे अमीर हुआ BCCI, पानी के पैसे तो खूब बढ़ाते हो; IPL मैच की सिक्योरिटी फीस घटाने पर भड़का हाईकोर्ट
- मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने कहा कि जब पानी की सप्लाई जैसी बुनियादी सार्वजनिक सुविधाओं की कीमत की बात आती है तो राज्य सरकार कोई ढील नहीं बरतती है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार द्वारा इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) टी20 क्रिकेट मैचों के लिए पुलिस सुरक्षा शुल्क में कटौती के फैसले पर कड़ी नाराजगी जताई। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दायर किया था। उन्होंने राज्य सरकार के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें आईपीएल टी20 मैचों के लिए 2011 से चले आ रहे पुलिस सुरक्षा शुल्क में कमी की गई थी और बकाया शुल्क माफ कर दिया गया था।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने कहा कि जब पानी की सप्लाई जैसी बुनियादी सार्वजनिक सुविधाओं की कीमत की बात आती है तो राज्य सरकार कोई ढील नहीं बरतती है। मुख्य न्यायाधीश ने राज्य की सरकारी वकील को संबोधित करते हुए टिप्पणी की, "ये क्या है मैडम? आप जनता के लिए पानी की कीमत बढ़ाते रहते हैं, यहां तक कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों के लिए भी कोई ढील नहीं देते हैं.... BCCI दुनिया भर में सबसे अमीर क्रिकेट एसोसिएशन में से एक है। इसी तरह से वे अमीर बने हैं।"
याचिका में खुलासा किया गया है कि मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) पर 2013 से 2018 के बीच वानखेड़े और ब्रेबोर्न स्टेडियम में आयोजित आईपीएल मैचों के दौरान पुलिस सुरक्षा के लिए अभी भी 14.82 करोड़ रुपये बकाया हैं। 26 जून, 2023 को जारी राज्य सरकार के सर्कुलर ने सुरक्षा शुल्क को 25 लाख रुपये से घटाकर 10 लाख रुपये कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि राज्य के शुल्क ढांचे में 2017 से कई संशोधन हुए हैं। 2017 में, मुंबई में टी20 और वनडे मैचों के लिए शुल्क 66 लाख रुपये और नागपुर/पुणे में 44 लाख रुपये निर्धारित किए गए थे। टेस्ट मैचों के लिए, मुंबई में शुल्क 55 लाख रुपये और नागपुर/पुणे में 40 लाख रुपये था।
12 नवंबर, 2018 को जारी एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में मुंबई में टी20 और वनडे मैचों के लिए फीस बढ़ाकर 75 लाख रुपये और नागपुर/पुणे में 50 लाख रुपये कर दी गई। मुंबई में टेस्ट मैच की फीस को 60 लाख रुपये और नागपुर/पुणे में 40 लाख रुपये कर दिया गया। हालांकि, 2023 के सर्कुलर ने इन फीस को पूर्वव्यापी प्रभाव से घटाकर 10 लाख रुपये कर दिया, जिस पर कोर्ट में सवाल उठाए गए।
न्यायालय ने अब राज्य को निर्देश दिया है कि वह प्रोटेक्शन चार्जेस में कमी और बकाया राशि माफ करने के औचित्य को साबित करने के लिए विस्तृत हलफनामा दाखिल करे। पीठ ने विशेष रूप से अतिरिक्त मुख्य सचिव या किसी अन्य वरिष्ठ अधिकारी से एक व्यापक हलफनामा मांगा है, जिसमें 2011 से बकाया राशि वसूलने के लिए राज्य के प्रयासों और बकाए को माफ करने के पीछे के तर्क का विवरण शामिल हो। न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को करेगा