भतीजे की काट भतीजा, बारामती में अजित पवार के खिलाफ शरद पवार बदल पाएंगे नतीजा?
- अब तक अजित पवार एकजुट एनसीपी से विधायक चुने जाते रहे हैं। इस बार वह अपनी अलग पार्टी से कैंडिडेट हैं और चाचा शरद पवार ने भी उनके खिलाफ भतीजा कार्ड ही चल दिया है। एनसीपी-एसपी ने बारामती से अजित पवार के मुकाबले युगेंद्र पवार को उतार दिया है। युगेंद्र पवार रिश्ते में शरद पवार के पोते लगते हैं।
महाराष्ट्र में कई सीटों पर रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। इनमें भी सबसे ज्यादा चर्चित सीट बारामती विधानसभा है। यहां से अजित पवार फिर से मुकाबले में हैं, जो 1991 से लगातार यहां से जीत हासिल कर रहे हैं। इस बार हालात उलट हैं। उन्होंने बीते साल ही चाचा शरद पवार को गच्चा देते हुए एनडीए गठबंधन का दामन थाम लिया था। वह 40 विधायक लेकर आए थे और फिर एनसीपी ही उनकी हो गई। अब शरद पवार के पास जो खेमा है, उसकी पहचान एनसीपी-शरदचंद्र पवार के तौर पर है। इस तरह परिवार से लेकर पार्टी तक के समीकरण बदल गए हैं और बारामती विधानसभा सीट पर इसका सबसे ज्यादा असर दिख रहा है।
अब तक अजित पवार एकजुट एनसीपी से विधायक चुने जाते रहे हैं। इस बार वह अपनी अलग पार्टी से कैंडिडेट हैं और चाचा शरद पवार ने भी उनके खिलाफ भतीजा कार्ड ही चल दिया है। एनसीपी-एसपी ने बारामती से अजित पवार के मुकाबले युगेंद्र पवार को उतार दिया है। युगेंद्र पवार रिश्ते में शरद पवार के पोते लगे और वह अजित पवार के बड़े भाई श्रीनिवास के बेटे हैं। इस तरह जैसे अजित पवार ने चाचा शरद पवार से अलग रुख अपनाया था। उसी तरह शरद पवार ने अजित के ही भतीजे को मुकाबले में खड़ा कर दिया है। अब सवाल यही है कि क्या भतीजों की जंग में नतीजा बदलेगा।
इस बीच अजित पवार ने अपने बेटे पार्थ को ही चुनाव प्रचार में उतार दिया है। पार्थ ने बारामती में प्रचार पर निकलने के दौरान कहा है कि यहां 30 सालों से विकास हो रहा है और यह सारे काम अजित दादा ने ही किए हैं। 90 के दशक के बाद से ही बारामती के लोग लगातार देख रहे हैं कि कैसे विकास तेजी से हो रहे हैं। इस दौरान जब उनसे लोकसभा चुनाव की जंग को लेकर कहा कि तो उन्होंने कहा कि तब इमोशनल इशू बन गया था। इस बार ऐसा नहीं हो पाएगा। अब लोग व्यवहारिक तरीके से सोच रहे हैं।
दरअसल लोकसभा चुनाव में भी बारामती में तीखी जंग हुई थी। यहां अजित पवार ने पत्नी सुनेत्र को उतार दिया था, जबकि शरद पवार खेमे से उनकी बेटी सुप्रिया सुले उतरी थीं। अंत में नतीजा आया तो सुनेत्र को हार झेलनी पड़ी। इसके बाद अजित पवार ने यह भी कहा था कि लोग परिवार से अलग होने वालों को साथ नहीं देते हैं। उन्होंने कहा था कि बहन के मुकाबले चुनाव में पत्नी उतारना गलती थी। इस पर शरद पवार खेमे ने तंज कसते हुए कहा था कि अजित पवार को यह बात हार के बाद ही समझ आई है।