पाकिस्तान समझेगा 'सफेद कपड़ा' पर खुल जाएगी उसकी हर पोल, भारत ने क्या बना ली नई चीज
भारत ने रक्षा तकनीकी क्षेत्र एक और अहम उपलब्धि हासिल कर ली है। देश में शनिवार को स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का पहला उड़ान परीक्षण सफल रहा।

भारत ने रक्षा तकनीकी क्षेत्र एक और अहम उपलब्धि हासिल कर ली है। देश में शनिवार को स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप प्लेटफॉर्म का पहला उड़ान परीक्षण सफल रहा। इससे सेना की निगरानी क्षमता बढ़ेगी। दुनिया में बहुत कम देशों के पास ऐसी जटिल प्रणाली है। मध्यप्रदेश के श्योपुर में इसका सफल परीक्षण किया गया है। यह देखने में ऐसा लगता है जैसे कोई सफेद कपड़ा आसमान में उड़ रहा हो, लेकिन चीन-पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की नापाक हरकतों का 'पर्दाफाश' करने में सक्षम है।
एयरशिप गुब्बारेनुमा होते हैं और पृथ्वी के वायुमंडल की दूसरी परत यानी समताप मंडल में उड़ते हैं। यह निगरानी उपकरणों से लैस होते हैं। हालांकि, यह गुब्बारों से अलग होते हैं क्योंकि इनमें इंजन भी होता है, जिससे इनकी दिशा बदली जा सके। निगरानी, संचार, मौसम विज्ञान और रक्षा उद्देश्यों के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है।
क्या है स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप
स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप या हाई-एल्टिट्यूड एयरशिप्स विशेष एयरशिप होते हैं, जो पृथ्वी की स्ट्रैटोस्फियर (करीब 20–30 किलोमीटर ऊंचाई) में उड़ते हैं। निगरानी, संचार, मौसम विज्ञान और रक्षा उद्देश्यों के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है।
इसलिए है खास
डीआरडीओ के अध्यक्ष समीर वी कामत ने कहा कि प्रतिकृति उड़ान हवा से भी हल्की उच्च ऊंचाई वाली प्रणाली के निर्माण की दिशा में एक मील का पत्थर है, जो समताप मंडल की ऊंचाइयों पर लंबे समय तक हवा में रह सकती है। इस एयरशिप को करीब 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक उपकरणीय पेलोड के साथ रवाना किया गया।
चुनिंदा देशों में शामिल
अधिकारियों ने बताया कि स्ट्रैटोस्फेरिक एयरशिप से सेना की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विकसित किया जा रहा है। यह प्रणाली खुफिया निगरानी एवं टोही क्षमताओं को अद्वितीय रूप से बढ़ाएगी। इसके बाद भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसी स्वदेशी क्षमता है।
किसने विकसित किया
इस प्लेटफॉर्म को आगरा स्थित एरियल डिलीवरी रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (एडीआरडीई) द्वारा विकसित किया गया है। मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इसका परीक्षण किया गया।
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