बागेश्वर बाबा नहीं भूलते शेख मुबारक की वह मदद, 2 मुसलमान जिनसे उनका गहरा रिश्ता
बागेश्वर बाबा के नाम से पूरे देश में चर्चित कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अक्सर हिंदू और हिंदुत्व को लेकर अपने एजेंडे की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। बागेश्वर बाबा के जीवन में दो मुस्लिम शख्स काफी अहमियत रखते हैं।
बागेश्वर बाबा के नाम से पूरे देश में चर्चित कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अक्सर हिंदू और हिंदुत्व को लेकर अपने एजेंडे की वजह से सुर्खियों में रहते हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग उन पर इस्लाम और मुस्लिम विरोधी होने का भी आरोप लगाते हैं। हालांकि, ना सिर्फ बागेश्वर बाबा के दरबार में कई मुस्लिम भक्त भी आते हैं, बल्कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के जीवन में दो मुस्लिम व्यक्तियों की काफी अहमियत है। शास्त्री अक्सर इनकी तारीफ करते दिखते हैं।
आइए बताते हैं उन दो मुस्लिम व्यक्तियों के बारे में जिनकी धीरेंद्र शास्त्री से काफी करीबी है। दोनों से ही उनका नाता वर्षों पुराना है। इनमें से एक हैं धीरेंद्र शास्त्री के बचपन के दोस्त शेख मुबारक और दूसरे उनके शिक्षक अलीम खान।
कैसे हुई शेख मुबारक से दोस्ती
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से छह साल बड़े शेख मुबारक पेशे से एक प्राकृतिक चिकित्सक हैं। उनकी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से गहरी दोस्ती है। धीरेंद्र से पीठाधीश्वर बनने के सफर में शेख मुबारक हर कदम उनके साथ रहे। दोनों के बीच दोस्ती इतनी पक्की कि समय मिलते ही धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शेख को अपने पास बुला लेते हैं या फिर खुद उनसे मिलने पहुंच जाते हैं।
शेख मुबारक बागेश्वर बाबा के साथ अपनी दोस्ती को लेकर एक दिलचस्प किस्सा बताते हैं। वह कहते हैं कि उनकी पहली मुलाकात अचानक गंज गांव के पास बारिश के दौरान हुई थी। पहली मुलाकात में दोनों का झगड़ा हो गया, लेकिन बाद में गहरी दोस्ती हो गई। शेख याद करते हैं कि शुरुआत में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की आर्थिक स्थिति ठीक नही थी, सभी दोस्त उनकी मदद करते थे। जब शास्त्री ने अपनी बहन की शादी तय की तो सभी दोस्तों ने उनकी आर्थिक मदद की। उन्होंने भी तब करीब 20 हजार रुपए दिए थे। धीरेंद्र शास्त्री इसे आज तक नहीं भूले और कई बार मंचों से भी इसका जिक्र कर देते हैं।
शेख मुबारक चुरारन गांव के रहने वाले है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री गढ़ा गांव के दोनो के गांव में काफी दूरी है। इसके बावजूद दोनों में पारिवारिक संबंध हैं। शेख कहते हैं कि त्योहारों पर एक दूसरे के घर आना-जाना होता है। अभी रक्षा बंधन पर उन्होंने भी शास्त्री की बहन से राखी बंधवाई थी।
समय मिलते ही दौड़े चले आते हैं मिलने
शेख मुबारक बताते है कि भले ही आज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की प्रसिद्धि पूरी दुनिया में हो लेकिन वे इतने सरल है की समय मिलते ही मुझ से मिलने के लिए आ जाते है। कई बार रास्ते में जब मैं उन्हें नहीं देख पता हूं तो वो खुद अपना काफिला पीछे करवाते हैं और मुझ से मिलते हैं। उनकी दोस्ती आज भी पहले जैसे ही है कुछ भी नही बदला है।
धीरेंद्र शास्त्री के खान सर
हलीम खान दूसरे ऐसे मुस्लिम व्यक्ति हैं जिनकी धीरेंद्र शास्त्री के जीवन में बड़ा महत्व है। हलीम खान धीरेंद्र शास्त्री के बचपन के शिक्षक हैं। गंज गांव के शासकीय उच्चतर माध्यमिक स्कूल में वह धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को गणित पढ़ाते थे। दोनों के बीच काफी स्नेह था और गुरु शिष्य का यह रिश्ता आज भी पहले की तरह कायम है। पिछले महीने स्वतंत्रता दिवस पर जब धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने स्कूल में पहुंचे तो दोनों एक दूसरे का सम्मान करते दिखे थे।
हलीम खान जहां आगे बढ़कर अपने शिष्य को रिसीव करने पहुंचे तो धीरेंद्र शास्त्री ने सिर झुकाकर उनका अभिवादन किया। एक दूसरे का हाथ थामे हुए दोनों मंच तक पहुंचे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए धीरेंद्र शास्त्री ने हलीम खान की तारीफ की और बताया था कि कैसे उनसे प्यार और स्नेह मिलता था। खान सर भी अपने चर्चित शिष्य की खूब तारीफ करते हैं। वह कहते हैं, 'धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बचपन से ही पढ़ाई में होशियार थे। 5वीं से लेकर 8वीं,,10 वीं और 12वीं में प्रथम श्रेणी से पास हुए हैं।'
रिपोर्ट: जय प्रकाश
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