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मध्य प्रदेश व्यापमं घोटाला: पीएमटी 2009 में अदालत का फैसला, स्टूडेंट व दो बिचौलियों को सजा

मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले के पीएमटी 2009 के एक मामले में अदालत ने फैसला सुनाया है। स्टूडेंट और दो बिचौलियों को अदालत ने पांच साल का कठोर कारावास और अर्थदंड की...

Ravindra Kailasiya भोपाल, लाइव हिंदुस्तान, Mon, 20 Dec 2021 09:42 PM
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मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले के पीएमटी 2009 के एक मामले में अदालत ने फैसला सुनाया है। स्टूडेंट और दो बिचौलियों को अदालत ने पांच साल का कठोर कारावास और अर्थदंड की सजा सुनाई है। 

व्यापमं घोटाले में सीबीआई ने 2015 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच शुरू की थी जिसमें मध्य प्रदेश पुलिस के एसटीएफ द्वारा दर्ज किए गए मामलों के साथ कई और मामले दर्ज किए थे। इसमें पीएमटी 2009 का एक मामला दिलीप कन्नौजे और उनके दो बिचौलियों ह्रदेश राजपूत व मनीष राजपूत का था। यह मामला झांसी रोड ग्वालियर पुलिस थाने में दर्ज हुआ था और इसकी जांच सीबीआई ने शुरू की थी जिसमें दिलीप कन्नौजे द्वारा लिखित परीक्षा देना नहीं पाया गया था। 
 
सॉल्वर को परीक्षा में बैठाकर उत्तीर्ण हुआ दिलीप
सीबीआई ने मामले की जांच करने के लिए दिलीप कन्नौजे के पीएमटी फॉर्म, परीक्षा केंद्र पर किए गए हस्ताक्षर और उत्तर पुस्तिका पर हस्ताक्षर सहित फार्म के फोटो और परीक्षा केंद्र में बैठे व्यक्ति की जांच पड़ताल की थी। फोटो और हस्ताक्षरों में दिलीप कन्नौजे के फार्म व परीक्षा केंद्र के दस्तावेजों में अलग-अलग पाए गए थे। आरोपियों से सीबीआई ने पूछताछ की और नमूना लिखावट, ओएमआर शीट के साथ सीएफएल को भेजा था। इसमें मिलान नहीं हुआ था। इसके आधार पर यह पाया गया कि दिलीप कन्नौजे परीक्षा में नहीं बैठे थे और उन्होंने अपनी जगह दूसरे व्यक्ति को परीक्षा में बैठाकर ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में प्रवेश हासिल किया।

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