दिग्विजय सिंह की 8 साल पुरानी शिकायत पर FIR, क्यों शिवराज के फैसले से BJP में ही खलबली
मध्य प्रदेश के कुख्यात व्यापम घोटाले की एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की ओर से करीब 8 साल पहले दी गई शिकायत पर अब एसटीएफ ने केस दर्ज किया है।
मध्य प्रदेश के कुख्यात व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाले की एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की ओर से करीब 8 साल पहले दी गई शिकायत पर अब एसटीएफ ने केस दर्ज कर लिया है। इसने प्रदेश की राजनीति को एक बार फिर गरमा दिया है। खास बात यह है कि खलबली सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक खेमे के भीतर ही है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के कुछ नेताओं ने दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व से शिकायत भी की है।
2014 में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की ओर से दी गई शिकायत के आधार पर 8 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। शिकायत में आरोप लगााया गया है कि घोटाले में भाजपा के कुछ नेता शामिल थे। 2022 के अंत में दर्ज शिकायत ने पार्टी के कई नेताओं को असहज कर दिया है। एसटीएफ अधिकारियों ने किसी राजनीतिक विवाद को खारिज किया और कहा कि यह रूटीन ऐक्शन है। सीबीआई की ओर से नहीं जांचे गए सैकड़ों शिकायों की जांच की जा चुकी है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एसटीएफ ने 6 दिसंबर को प्रशांत मेशराम, अजय टेंगर, कृष्ण कुमार जैसवाल, अनिल चौहान, हरि कृशन जाटव, शिव शंकर प्रसाद, अमित बाडोले और सुलवंत सिंह मौर्य के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इन पर फर्जी परीक्षार्थी के सहारे पीएमटी 2008-09 पास करने का आरोप है। एसटीएफ ने कहा है कि जांच के दौरान इनके साइन अलग पाए गए और कुछ अन्य सबूत मिले हैं।
दिग्विजय सिंह ने तीन श्रेणियों में कुछ विद्यार्थियों की सूची सौंपी थी और आरोप लगाया था कि मध्य प्रदेश सरकार के कुछ मंत्री, भाजपा के वरिष्ठ नेता आर्थिक लाभ के लिए घोटाले में शामिल थे। जुलाई 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने केस को एमपीएसटीएफ से लेकर सीबीआई को सौंप दिया था। सीबीआई ने 155 मुकदमे दर्ज किए थे। सीबीआई के पास अब कोई भी केस लंबित नहीं है।
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