Hindi Newsमध्य प्रदेश न्यूज़Then changed the name of Vyapam the opposition targeted said Changing the name will not wash away the sins of Shivraj government

शिवराज सरकार ने बदला कुख्यात 'व्यापमं' का नाम, विपक्ष ने कहा- नाम बदलने से नहीं धुलेंगे पाप

7 महीने पहले कैबिनेट में हुई घोषणा के बाद प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्डके नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। बुधवार को कर्मचारियों द्वारा बिल्डिंग समेत बोर्ड पर नए नाम लिख दिए गए हैं। 

Suyash Bhatt लाइव हिंदुस्तान, भोपालThu, 13 Oct 2022 12:59 PM
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बड़े घोटाले के रूप में कुख्यात हुआ व्यापमं का नाम एक बार फिर बदल दिया गया है। ये तीसरी बार है जब इसका नाम बदला गया है। व्यापम घोटाले के सामने आने के बाद इस संस्थान का नाम पीईबी यानी प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड कर दिया गया था। इसके बाद भी गड़बड़ियां सामने आती रहीं। और अब सरकार ने फिर इसके नाम में बदलाव कर दिया है। पीईबी एमपी अब मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल कहलाएगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद 1 लाख पदों पर भर्ती प्रक्रिया आयोजित की जा रही है। वहीं 7 महीने पहले कैबिनेट में हुई घोषणा के बाद प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। बुधवार को कर्मचारियों द्वारा बिल्डिंग समेत बोर्ड पर नए नाम लिख दिए गए हैं। 

जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के नाम बदलने के साथ ही इसके डिपार्टमेंट को भी बदला गया है। अब नोडल डिपार्टमेंट के रूप में इसका संचालन सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपा गया है। सीधे तौर पर यह विभाग सीएम शिवराज के पास रहेगा। राज्य शासन द्वारा व्यापम घोटाला सामने आने के बाद नाम बदलने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। सिस्टम में सुधार होने की स्थिति देखते हुए नाम बदलने के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

पिछले साल प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड की तरफ से कृषि विस्तार अधिकारी और वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी परीक्षा में भारी गड़बड़ी सामने आई। जिसके कारण परीक्षा रद्द करनी पड़ी। जांच में परीक्षा एजेंसी को आरोपी माना गया। ऐसे में कई मामले सामने आने के बाद फिर से शुरू हुई थी।

वहीं बार बार नाम बदलने पर विपक्ष ने सरकार ने जमकर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा कि ऐसा लगता है कि व्यापमं घोटाले का भूत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सताता रहता है। इसलिए पिछले सात वर्षों में दो बार इसका नाम बदला जा चुका है। लेकिन धोखाधड़ी को लंबे समय तक दबाया नहीं जा सका।

कांग्रेस मीडिया सेल के उपाध्यक्ष अजय सिंह यादव ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवराज सरकार को लगता है कि व्यापमं का नाम बदलने से उन पर लगे दाग धुल जाएंगे लेकिन ऐसा संभव नहीं है। क्योंकि व्यापमं ने हजारों लोगों का करियर तबाह किया है। जिन लोगों का शोषण किया गया, उनकी प्रतिभा को बर्बाद कर दिया गया है। यादव ने कहा कि राज्य सरकार नाम बदल सकती है लेकिन व्यापमं घोटाले का पर्दाफाश करने वालों की आवाज नहीं दबाई जा सकती।

बता दें कि पहली बार 2013 में सरकार को हिलाकर रख दिया, जब यह सामने आया कि उम्मीदवारों ने अधिकारियों को अपनी ओर से परीक्षा देने के लिए धोखेबाजों का इस्तेमाल करने के लिए रिश्वत दी। राज्य सरकार ने पहली बार इसे 2015 में व्यावसायिक परीक्षा बोर्ड  के रूप में फिर से नाम दिया और इस साल फिर इसका नाम बदलकर कर्मचारी चयन मंडल कर दिया। दूसरी बार इसका नाम बदलकर व्यापमं के दाग को धोने का प्रयास किया गया है। 

व्यापमं जिसे अब कर्मचारी चयन बोर्ड के नाम से जाना जाता है, अब सामान्य प्रशासन विभाग के अधीन कार्य करेगा। परीक्षा में गड़बड़ी 2013 के विधानसभा चुनाव के बाद सामने आई थी। इसमें मोड़ तब आया जब घोटाले से जुड़े कुछ लोगों की संदिग्ध रूप से मौत हो गई। इसमें कई राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारी शामिल थे जिन्हें अंततः गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।

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