MP में शिक्षक भर्ती घोटाला, फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र का खेल; कई बन गये टीचर
अधिकारियों ने एक-एक कर अन्य फाइलें उठाई तो 77 शिक्षकों के विकलांगता प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए। इनका जिला अस्पताल में कोई रिकॉर्ड तक नहीं मिला है। कलेक्टर के निर्देश पर केस दर्ज किया गया है।
मध्य प्रदेश का हाई प्रोफाइल व्यापम घोटाला काफी चर्चित रहा है। अब राज्य में कथित शिक्षक भर्ती घोटाले ने सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ चम्बल संभाग में हुआ है बल्कि बताया जा रहा है कि इसकी जड़ें पूरे मध्य प्रदेश में फैली हैं। चम्बल संभाग के बारे में कहा जा रहा है कि यहां पर 450 अभ्यर्थियों ने फर्जी विकलांगता पत्र के सहारे आरक्षित कोटे में नौकरी हासिल की है। जब यह मामला मुरैना जिले के कलेक्टर के संज्ञान में आया तो उन्होंने तत्काल जिला शिक्षा अधिकारी एके पाठक को जांच के निर्देश दिए। जांच के दौरान शुरू में 5 शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे। इस पर जिला शिक्षा अधिकारी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 3 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने एक-एक कर अन्य फाइलें उठाई तो 77 शिक्षकों के विकलांगता प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए। इनका जिला अस्पताल में कोई रिकॉर्ड तक नहीं मिला है। कलेक्टर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने बुधवार को मुरैना कोतवाली थाने में इनके खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए आवेदन दिया गया।
कोतवाली थाना प्रभारी ने जिला शिक्षा अधिकारी की शिकायत पर 77 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। जिन शिक्षकों पर मामला दर्ज किया गया है उनमें प्रमुख रूप से अनिरुद्ध शर्मा निवासी चिंनौनी, अनिल शर्मा निवासी नैनागढ़ रोड, हरिओम धाकड निवासी सुजानगढ़ी, पवन त्यागी निवासी जैतपुर, सोनू त्यागी निवासी बघेल, नागेंद्र सिंह निवासी एमएस रोड जौरा, विनोद शर्मा निवासी जौरा, सौरभ भदौरिया निवासी मुरैना तथा सतीश धाकड सहित 77 शिक्षकों के नाम हैं।
इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद शिक्षा विभाग के अधिकारियो की नींद उड़ गई है क्योंकि शिक्षकों के बाद अब अगली कार्रवाई विभागीय अधिकारियों के खिलाफ होने वाली है। यह पूरा फर्जीवाड़ा अधिकारियों की मिली भगत से होना बताया जा रहा है। यही वजह है कि नियुक्ति के समय अधिकारियों ने उनके मूल दस्तावेजों का वेरिफिकेशन नहीं करवाया था।
एक और अहम बात यह भी है कि इस फर्जीवाड़े में सिर्फ आरोप सिर्फ नए शिक्षकों पर ही नहीं लग रहे बल्कि जिन्होंने फर्जी तरीके से दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाया उनपर भी उंगलियां उठ रही हैं।। साथ ही इस मामले में उन डॉक्टरों को भी संदेह के घेरे में लाया जा रहा है जिनके फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर हैं या फिर सील लगी हुई है।
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