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Hindi Newsमध्य प्रदेश न्यूज़Swami Purushottamand a worshiper of Maa Durga came out of the underground samadhi was absorbed in austerity for 72 hours

मां दुर्गा के उपासक स्वामी पुरुषोत्तमनंद भूमिगत समाधि से आए बाहर, 72 घंटे तपस्या में रहे लीन

बाबा ने कहा कि भगवती ने ही समाधि के लिए प्रेरणा दी। जिसके बाद दरबार परिसर में पांच फीट चौड़ा, छह फीट लंबा और सात फीट गहरा गड्ढा समाधि स्थल के रूप में तैयार किया गया।

Suyash Bhatt लाइव हिंदुस्तान, भोपालMon, 3 Oct 2022 06:47 AM
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राजधानी भोपाल में स्वामी पुरुषोत्तमानन्द महाराज 3 दिनों की भूमिगत समाधि में रहने के बाद 3 अक्टूबर को बाहर आ गए। उन्होंने कहा कि जनकल्याण के लिए ऐसा कदम उन्होंने लिया। भोपाल के टीटी नगर माता मंदिर के पीछे आध्यात्मिक संस्था के संस्थापक बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज 30 सितंबर को भूमिगत समाधि चले गए थे। उन्हें विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके साधु-संतों ने बाहर निकाला। इसके लिए उन्होंने 10 दिन से अन्न छोड़ा था। हालांकि इसके लिए उन्हें पुलिस प्रशासन से स्वीकृति नहीं मिली थी।

दरअसल इसे लेकर बाबा ने कहा कि भगवती ने ही समाधि के लिए प्रेरणा दी। जिसके बाद दरबार परिसर में पांच फीट चौड़ा, छह फीट लंबा और सात फीट गहरा गड्ढा समाधि स्थल के रूप में तैयार किया गया। जिसमें पुरुषोत्तमानन्द महाराज ने ध्यानमुद्रा बनाकर आसन लगाया।

इसके बाद गड्ढे को लकड़ी के पट्टियों से ढंक दिया गया। उस पर कपड़ा बिछाकर मिट्टी बिछा दी गई। बाबा ने भूमिगत समाधि साधना का उद्देश्य लोक कल्याण की कामना बताया। वो बचपन से ही मां भगवती की आराधना कर रहे हैं। और इस नवरात्रि में बाबा ने भूमिगत समाधि का फैसला लिया।

बाबा ने बताया जी उन्हें मां भगवती ने ही इसके लिए प्रेरित किया है। एक दावा किया जाता है कि पुरुषोत्तमानंद महाराज इससे पहले 1985 में अग्नि स्नान भी कर चुके हैं। उन्होंने भोपाल के सोमवारा चौक पर अपने शरीर पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली थी। इस दौरान करीब 80 फीसदी जले थे, लेकिन उनके शरीर पर आज जलने का एक भी निशान नहीं है। उनके भक्तों का दावा है कि इससे पहले वह जल समाधि ले चुके हैं। और इस दौरान वो 12 घंटे तक पानी में रहे थे।

पूरे देश में नवरात्र का पावन पर्व चल रहा है। लोग अपनी शक्ति और सामर्थ्य के अनुसार देवी की उपासना में लीन हैं। कोई सामान्य रूप से पूजा-पाठ कर रहे हैं तो कोई कठिन तपस्या और साधना में रत है।

वहीं समाधि की अनुमति ना लेने को लेकर महाराज का कहना था कि उन्होंने समाधि लेने के लिए प्रशासन से लिखित में अनुमति मांगी थी, लेकिन नहीं मिली। उधर, प्रशासन का कहना है कि अनुमति भागवत कथा और दूसरे धार्मिक आयोजन के लिए मांगी गई थी। महाराज के शिष्य रूपनारायण शास्त्री ने बताया कि समाधि में बैठने के लिए बाबा ने 10 दिन खाना त्यागे रखा। और 3 दिन से पानी भी नहीं पीया। खाना-पानी छोड़ने की वजह यह है कि इससे शरीर स्वस्थ रहता है। समाधि के दौरान कोई परेशानी नहीं होती।

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