व्यापम फर्जीवाड़ा मामला: 12 वीं में हुआ फेल लेकिन धांधली से पूरा कर लिया MBBS, अब 18 साल बाद मिली ये सजा
2004 में हुए व्यापम पीएमटी के फर्जीवाड़े मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने आरोपी राहुल यादव को आज 4 साल कैद और साढ़े 12 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई। आरोपी ने धांधली कर एडमिशन लिया था।
व्यापम फर्जीवाड़ा मामले में सीबीआई की विशेष कोर्ट ने राहुल यादव को चार साल के सश्रम कारावास की सजा दी है। उस पर साढे बारह हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है। खास बात यह है कि इस मामले में फरियादी बने आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने तीन साल तक कोर्ट के आदेश के बावजूद अपने बयान दर्ज नहीं कराए और आखिरकार सीबीआई कोर्ट ने उसके गवाही के अधिकार को ही खत्म कर परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर राहुल यादव को यह सजा सुनाई है।
क्या है मामला ?
मामला व्यापम पीएमटी परीक्षा 2004 से जुड़ा हुआ है। 2004 में आरोपी कक्षा 12वीं में राहुल यादव सभी विषयों में पास नहीं हो सका था, कुछ विषयों में सप्लीमेंट्री होने के बावजूद उसने पीएमटी परीक्षा दी। पीएमटी परीक्षा में चयन होने पर उसने कक्षा 12 में आई सप्लीमेंट्री की जानकारी व्यवसायिक परीक्षा मंडल(MPPEB) से छुपाई। उसने अपने दस्तावेजों के साथ मार्कशीट चोरी होने की रिपोर्ट भी भोपाल के जीआरपी थाने में 24 जुलाई 2004 को दर्ज कराई थी। काउंसलिंग के दौरान भोपाल जीआरपी में दर्ज FIR का हवाला दिया और बाद में दस्तावेज पेश करने का भरोसा दिया। लेकिन राहुल यादव ने डिग्री पूरी कर ली और बांड की अवधि पूरी होने तक मूल दस्तावेज जमा नहीं किए।
नहीं रद्द हुआ एडमिशन
गजरा राजा मेडिकल कॉलेज एवं संचालक चिकित्सा शिक्षा भोपाल ने भी उसके एडमिशन को कई सालों तक निरस्त नहीं किया। इसके बाद आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने सीआईडी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राजीव टंडन से शिकायत की थी। जिसके बाद मामला सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में पहुंचा था।
फर्जीवाड़े में मेडिकल कॉलेज की मिलीभगत
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान यह भी पाया कि फर्जी छात्रों को प्रवेश दिलाने में चिकित्सा महाविद्यालय संचालनालय चिकित्सा शिक्षा के अधिकारी कर्मचारी मिलकर सहयोग करते हैं। इसी आधार पर न्यायालय ने आरोपी राहुल यादव के पहले अपराध के तर्क को भी दरकिनार कर 4 साल के सश्रम कारावास की सजा और साढे बारह हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है। आरोपी के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र परीक्षा अधिनियम धोखाधड़ी और कूट रचित दस्तावेज तैयार करने की धाराओं में स्थानीय झांसी रोड थाने में मुकदमा दर्ज था। इस मामले में उसके भाई और सहयोगी रहे दीपक यादव को बरी कर दिया गया है।
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