Hindi Newsमध्य प्रदेश न्यूज़mp police solve bike theft case in record 60 hours was first under bns law

MP पुलिस का कमाल, रिकॉर्ड 60 घंटे में सुलझाया बाइक चोरी का पहला केस; BNS में हुई थी FIR

मध्य प्रदेश पुलिस ने बीएनएस के तहत दर्ज पहले केस को सुलझा लिया है। यह बाइक चोरी को लेकर था। पुलिस ने केवल 60 घंटे में इसे सुलझा दिया। एक जुलाई को रात करीब 12.05 बजे केस दर्ज हुआ था।

Sneha Baluni हिन्दुस्तान टाइम्स, ग्वालियरThu, 4 July 2024 07:00 AM
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एक जुलाई से पूरे देश में नए कानून लागू हो गए हैं। मध्य प्रदेश पुलिस ने बाइक चोरी का भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत दर्ज देश के पहले केस को 60 घंटे के अंदर सुलझा लिया है। यह केस ग्वालियर में दर्ज हुआ था। इसकी जानकारी पुलिस ने दी। पुलिस ने बताया कि एक जुलाई को रात करीब 12.05 बजे ग्वालियर के हजीरा इलाके में मां पीतांबरा कॉलोनी से बाइक चोरी हो गई। इसे लेकर रात 12.24 बजे एफआईआर दर्ज की गई।

नए कानून के तहत यह बाइक चोरी का पहला मामला है इसका पता तब चला जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि यह बीएनएस के तहत दर्ज पहला केस है। बीएनएस ने भारतीय दंड संहिता की जगह ली है। ग्वालियर के एसपी धर्मवीर यादव ने बुधवार को बताया, 'पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से रिकॉर्ड समय में मामले को सुलझा लिया है। 17 साल के शिकायतकर्ता सौरभ नरवरिया ने बहुत जल्दी केस दर्ज कराया था। आरोपी सचिन नरवरिया को भिंड से बाइक सहित गिरफ्तार किया गया है। सचिन ने सौरभ नरवरिया की बाइक चुराकर नारायण विहार कॉलोनी में अपने साले के घर छिपा दी थी।'

एसपी ने कहा, 'इस केस पर सभी की नजरें थीं क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह ने इसे नए कानून के तहत भारत में दर्ज पहली एफआईआर बताया था।' ‘क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम’ (सीसीटीएनएस) सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हुए अधिकारियों ने घटना को लेकर नए आपराधिक कानून के तहत सफलतापूर्वक पहली एफआईआर दर्ज की थी।

घर के बाहर से चोरी हुई थी बाइक

शिकायतकर्ता सौरभ नरवरिया ने बताया कि उनकी मोटरसाइकिल, मां पीतांबरा कॉलोनी, हजीरा में उनके घर के बाहर खड़ी करने के कुछ ही देर बाद चोरी हो गई। लगभग 1.80 लाख रुपये कीमत वाली यह मोटरसाइकिल नरवरिया के चचेरे भाई के नाम पर पंजीकृत थी। बता दें कि बीएनएस, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) सोमवार को लागू हुए, जिन्होंने ब्रिटिशकालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली।

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