मध्य प्रदेश में BJP को दो तिहाई से ज्यादा बहुमत, कारगर रणनीति ने दिलाई 163 सीटें
mp vidhan sabha election result 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को दो तिहाई से अधिक बहुमत मिल गया है। सूबे की 230 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 163 पर जीत दर्ज की है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दो तिहाई से बहुमत हासिल कर लिया है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 163 पर जीत दर्ज की है जबकि कांग्रेस को 66 सीटों से संतोष करना पड़ा है। इसके अलावा भारत आदिवासी पार्टी ने भी प्रदेश में पहली बार जीत दर्ज करते हुए एक सीट अपने कब्जे में कर ली है। इन तीन दलों के अलावा, कोई भी अन्य दल अपना खाता नहीं खोल सका है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को लगभग 48.55 फीसदी वोट मिले जो कांग्रेस की तुलना में आठ फीसदी अधिक है।
सीएम चौहान की अभूतपूर्व विजय
मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने बुधनी सीट पर अपने कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी और टीवी अभिनेता विक्रम मस्तल शर्मा को 1,04,974 मतों से हराया। कई पार्टी नेताओं ने चुनावी सफलता का श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को दिया, जिन्होंने राज्य में 14 चुनावी रैलियों को संबोधित किया था।
कमलनाथ ने छिंदवाड़ा पर बरकरार रखी पकड़
मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ ने छिंदवाड़ा पर अपनी कई दशक पुरानी पकड़ बरकरार रखी। नाथ ने भाजपा के विवेक बंटी साहू को 36,594 वोटों से हराया। 2018 के चुनावों में, साहू के खिलाफ नाथ की जीत का अंतर 25,837 वोट था। 1980 के बाद से, कमलनाथ ने छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से रिकॉर्ड नौ बार जीत हासिल की है।
तोमर ने दिमनी सीट पर जीता चुनाव
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल ने नरसिंहपुर से कांग्रेस के लाखन सिंह पटेल को 31,310 मतों के अंतर से हराकर अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिमनी सीट पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार बलवीर सिंह दंडोतिया को 24,461 वोटों से हराया।
आठ फीसदी मतों की बढ़त ने 109 से 163 पर पहुंचाया
भाजपा ने इस जीत के साथ ही मध्य प्रदेश की राजनीति में अपनी स्थिति भी पहले से काफी मजबूत कर ली है। भाजपा को 163 सीटों के साथ लगभग 48.55 प्रतिशत वोट मिले, जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 40.89 (2018) के मुकाबले लगभग 40.40 ही रहा। नतीजतन कुल सीटों की संख्या 114 से घटकर 66 हो गई। हालांकि, करीब आठ प्रतिशत मतों की बढ़त ने भाजपा को 2018 में 109 सीटों से 2023 में 163 सीटों पर पहुंचा दिया।
क्या करते हैं आंकड़े
2003 में भाजपा को 42.50 प्रतिशत वोट मिले थे और वह 173 सीटों पर विजयी हुई थी, जबकि कांग्रेस को 31.6 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने 38 सीट पर कब्जा किया था। इसी तरह, 2008 में भाजपा का वोट प्रतिशत 143 सीटों के साथ 37.64 था जबकि कांग्रेस का 71 सीटों के साथ 32.39 प्रतिशत था। 2013 में भाजपा को 44.88 फीसदी वोट के साथ 165 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 36.38 फीसदी वोट के साथ 58 सीटें मिलीं। 2018 में भाजपा को 41.02 प्रतिशत वोट मिले और उसे 109 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 40.89 प्रतिशत वोट मिले और उसे 114 सीटें मिलीं।
सीएम कौन? इस पर नजरें
भाजपा ने चुनावों में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी, इसलिए सीएम कौन बनेगा इस पर सस्पेंस कायम है। क्या चौहान बने रहेंगे या उनकी जगह कोई और लेगा इस पर सबकी नजरें हैं। वैसे सीएम शिवराज ने इसे पीएम मोदी के प्रयासों और डबल इंजन सरकार के विकास कार्यों की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जीत के लिए दिन-रात काम किया। पूरे चुनाव अभियान में हमारा मार्गदर्शन करने के लिए पीएम मोदी, अमित शाह और अध्यक्ष जेपी नड्डा उपलब्ध रहे जिसे लिए मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहता हूं।
कारगर रणनीति से मिली सफलता
पार्टी नेताओं का कहना है कि बूथ-स्तरीय प्रभावी रणनीति, मजबूत संगठनात्मक प्रयास, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता जैसे प्रमुख कारकों की वजह से भाजपा के पक्ष में माहौल बना। पार्टी सूत्रों की मानें तो चुनाव से पहले भाजपा के सामने आंतरिक गुटबाजी की चुनौती थी, जिस पर समय रहते काबू पा लिया गया। यही नहीं सत्ता विरोधी लहर की काट के लिए पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को संगठनात्मक स्तर पर एकजुट होकर प्रयास करने का मंत्र दिया गया था। भाजपा नेताओं ने बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं का भरोसा जीता जिससे काफी मदद मिली।
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