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MP के हर क्षेत्र से BJP ने जोड़ी सीटें, किस पार्टी का कैसा प्रदर्शन? इलाके वार आंकड़े

मध्य प्रदेश में भाजपा की शानदार जीत के पीछे दो क्षेत्रों के योगदान की चर्चा है। इन क्षेत्रों में भाजपा के पक्ष में बंपर वोटिंग ने दो नेताओं के रसूख को बढ़ाने का काम किया है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

Krishna Bihari Singh भाषा, भोपालMon, 4 Dec 2023 09:56 PM
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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के पीछे मालवा-निमाड़ और ग्वालियर-चंबल क्षेत्रों को माना जा रहा है। भाजपा ने रविवार को मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 में से 163 सीट जीतकर दो-तिहाई बहुमत हासिल कर लिया, जबकि कांग्रेस सिर्फ 66 सीट पर सिमट गई। भाजपा ने 15 जिलों में फैले मालवा-निमाड़ क्षेत्र की 66 विधानसभा सीटों में से 48 पर जीत हासिल की। 2018 की तुलना में उसे 20 सीटों का फायदा हुआ है। वहीं इस क्षेत्र में कांग्रेस को 17 सीटों से संतोष करना पड़ा। रतलाम जिले की सैलाना सीट भारत आदिवासी पार्टी विजयी हुई है।

मालवा-निमाड़ और ग्वालियर चंबल क्षेत्रों में BJP को जमकर वोट
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में मालवा-निमाड़ और ग्वालियर चंबल क्षेत्रों में कांग्रेस को भारी जनसमर्थन मिला था। उस समय कांग्नेस ने सूबे में 114 सीटें जीती थीं। पिछले चुनाव में, कांग्रेस ने मालवा निमाड़ इलाके में 35 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा की संख्या 2013 में जीती गई 57 सीट से घटकर 28 रह गई थी।

मालवा निमाड़ से विजयवर्गीय प्रमुख चेहरा
इंदौर-1 सीट से जीतने वाले भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय मालवा निमाड़ से एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। मालवा-निमाड़ में भाजपा के पक्ष में झमाझम मतदान से उनका सियासी रुतबा भी बढ़ गया है।

ग्वालियर-चंबल क्षेत्र ने दिया साथ, चमके सिंधिया
भाजपा ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की 34 में से आधी से अधिक सीटें जीतीं, जहां पूर्व कांग्रेस राजनेता और वर्तमान केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव है। 2018 के चुनाव में जब सिंधिया कांग्रेस में थे तो कांग्रेस ने ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की 34 में से 26 सीट जीती थीं। 2023 के चुनाव में कांग्रेस ने सिंधिया की गैरमौजूदगी में 10 सीट भाजपा के हाथों गंवा दीं।

ग्वालियर चंबल से 18 विधायक
भाजपा के पास अब ग्वालियर चंबल से 18 विधायक हैं। उसे बसपा की एक सीट का भी फायदा हुआ है। इस क्षेत्र के प्रमुख चेहरों में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मुरैना जिले की दिमनी सीट जीत ली, लेकिन वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा अपने गृह क्षेत्र दतिया में हार गये।

सभी क्षेत्रों में सीटें बढ़ी
इस बार, भाजपा ने मध्य प्रदेश के सभी प्रमुख क्षेत्रों-- बुंदेलखंड, विंध्य, महाकौशल और मध्य क्षेत्र (भोपाल और नर्मदापुरम संभाग) शामिल हैं, में अलग-अलग संख्या में सीट जोड़ीं। भाजपा ने 26 सीट वाले बुंदेलखंड क्षेत्र में कांग्रेस से चार सीट छीन लीं। अब उसकी सीट बढ़कर 21 हो गईं।

महाकोशल क्षेत्र में भाजपा ने आठ सीटें जोड़ी
कुल मिलाकर 38 खंडों वाले महाकोशल क्षेत्र में, भाजपा ने अपनी पिछली सीट में आठ सीट जोड़ ली हैं, जिससे नवीनतम सीट की संख्या 21 हो गई है, जबकि कांग्रेस की संख्या पिछली 24 से घटकर 17 हो गई है।कांग्रेस प्रमुख कमलनाथ का निर्वाचन क्षेत्र छिंदवाड़ा इसी क्षेत्र में आता है। केंद्रीय मंत्री और भाजपा के आदिवासी चेहरे फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला जिले की निवास सीट हार गए, जबकि उनके कैबिनेट सहयोगी प्रह्लाद सिंह पटेल महाकौशल के नरसिंहपुर निर्वाचन क्षेत्र से विजयी हुए।

विंध्य क्षेत्र में भाजपा को 25 सीटें
तीस विधानसभा क्षेत्रों वाले विंध्य क्षेत्र में भाजपा ने 25 सीट पर जीत हासिल की है, जबकि एक कांग्रेस से छीन ली है। कांग्रेस की कुल सीट अब पांच हो गई है। भाजपा नेता और लोकसभा सदस्य गणेश सिंह विंध्य के सतना विधानसभा क्षेत्र से हार गए। मध्य क्षेत्र में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली हाई-प्रोफाइल बुधनी सीट सहित 36 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, वहां भाजपा ने कांग्रेस से सात सीट छीनकर कुल 31 सीट जीती हैं।

BJP को सात फीसदी ज्यादा वोट 
मध्य क्षेत्र में कांग्रेस का संख्याबल, जिसमें भोपाल और नर्मदापुरम राजस्व मंडल शामिल हैं, 2018 में 12 की तुलना में इस बार घटकर पांच हो गया। भाजपा को इस बार 48.55 फीसदी वोट मिले हैं, जो 2018 की तुलना में सात फीसदी से ज्यादा है। 2018 के चुनाव में पार्टी को 41.02 फीसदी वोट मिले थे। दूसरी ओर, कांग्रेस का वोट शेयर 40.89 प्रतिशत (2018) के मुकाबले लगभग 40.40 प्रतिशत पर ही रहा, जबकि उसकी सीट 114 से गिरकर 66 सीट पर आ गईं।

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