उज्जैन के महाकाल हुए अरबपति, 8 माह में बना कमाई का नया रिकॉर्ड; इन कारणों से बढ़ रही आय
महाकाल मंदिर समिति को सावन और भादो माह में भस्म आरती, दान और अन्य साधनों से 25 करोड़ 10 लाख रुपये की आमदनी हुई है। इन 8 महीनों में लड्डू प्रसादी खरीदने का भी श्रद्धालुओं ने रिकॉर्ड बनाया है।
मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर की आय अब अरबों रुपये में पहुंच गई है। महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद लगातार बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या ने बीते 8 महीनों में कमाई के पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। 3 करोड़ 50 लाख श्रद्धालुओं ने इस दौरान महाकाल दर्शन कर महाकाल मंदिर की आय अरबों में पहुंचा दी है। यह आय मंदिर समिति को श्रद्धालुओं द्वारा लिए गए लड्डू प्रसादी, गर्भगृह दर्शन, शीघ्र दर्शन और दान पेटी से प्राप्त हुई है। हालांकि, महाकाल मंदिर समिति का खर्च भी 3 गुना बढ़ गया है।
उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकालेश्वर मंदिर में 11 अक्टूबर 2022 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोके का लोकार्पण किया था। इसके बाद श्रद्धालुओं की संख्या में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है। महाकाल मंदिर प्रशासक संदीप सोनी के अनुसार, जहां पहले 20 से 30 हजार श्रद्धालु रोज आते थे। वहीं अब यह संख्या बढ़कर डेढ़ से दो लाख हो गई है। इस दौरान श्रद्धालुओं ने लड्डू प्रसादी, शीघ्र दर्शन आदि में जमकर दान किया, जिससे महाकाल की आय में भी जबर्दस्त वृद्धि हुई है। इस बार सावन माह 2 माह का था, जिसमें कई हस्तियां जैसे क्रिकेटर फिल्म स्टार सेलिब्रिटी उद्योगपति राजनीतिक सहित कई वीआईपी के साथ सामान्य श्रद्धालु भी महाकाल के दर्शन को पहुंचे, इन दो माह में ही 2 करोड़ 39 लाख 58 हजार श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शन किए हैं। पिछले 8 महीनों में 3 करोड़ 50 लाख श्रद्धालुओं ने महाकाल के दर्शन कर बाबा महाकाल को दान किया है।
इन स्रोतों से आय
महाकाल मंदिर समिति को सावन और भादो माह में भस्म आरती, दान और अन्य साधनों से 25 करोड़ 10 लाख रुपये की आमदनी हुई है। इन 8 महीनों में लड्डू प्रसादी खरीदने का भी श्रद्धालुओं ने रिकॉर्ड बनाया है। इस दौरान 38 करोड़ 56 लाख 34 हजार रुपये से अधिक की लड्डु प्रसादी खरीदी है। अगर बीते 1 साल का रिकॉर्ड देखें तो 1 सितंबर 2022 से 12 सिंतबर 2023 तक दान से आय 1 अरब 29 करोड़ 44 लाख 16 हजार 849 रुपये की आय हुई है। लड्डू प्रसादी से 51 करोड़ 28 लाख 97 हजार 749 रुपये की आय हुई है। इस प्रकार महाकाल को दान में 1 अरब 80 करोड़ 73 लाख 14 हजार 642 रुपये मिले हैं।
खर्च बढ़ने की वजह
महाकाल मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी के अनुसार, महाकाल लोक बनने के बाद मंदिर का क्षेत्रफल जो 2.82 हेक्टर था अब बढ़कर 47 हेक्टर हो गया है। इतने बड़े मंदिर की साफ-सफाई ,कर्मचारी की सैलरी, सुरक्षा कार्यों में बढ़ाए गए कर्मचारियों, पर्व और अन्य रखरखाव पर खर्च बढ़ा है। इसके अलावा सावन माह, नाग पंचमी, महाशिवरात्रि पर सुंदरता और लाइटिंग का खर्च भी बढ़ा है, जो पहले ढाई करोड़ के करीब होता था अब वह बढ़कर 8 करोड़ हो गया है।
महाकाल मंदिर के प्रशासन संदीप सोनी ने बताया कि महाकाल लोक बनने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस दौरान महाकाल दर्शन को पहुंचने वाले श्रद्धालु शीघ्र दर्शन, भस्म आरती, लड्डू प्रसादी, गर्भ गृह दर्शन के लिए ऑनलाइन टिकट खरीदते हैं और अन्य तरीकों से भगवान महाकाल को दान करते हैं। इस दौरान देश के ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालु महाकाल को ऑनलाइन माध्यम से दान पहुंचाते रहते हैं। लगातार बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या से महाकाल मंदिर समिति की आय में भी बढ़ोतरी हो रही है।
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