हॉटसीट बनी MP की दिमनी विधानसभा; नरेंद्र तोमर के सामने कांग्रेस ने किसे दिया टिकट? BSP से भी कड़ी टक्कर
कांग्रेस ने नरेंद्र सिंह तोमर के सामने वर्तमान विधायक रवींद्र तोमर को फिर से मैदान में उतार दिया है। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के ऐलान के बाद से कड़ी टक्कर मानी जा रही है।
MP Election 2023: भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एमपी के चुनावी मैदान में उतारा है। उनके आने से एमपी की दिमनी सीट हाई प्रोफाइल हो गई है। कांग्रेस ने नरेंद्र तोमर के सामने वर्तमान विधायक रवींद्र तोमर को फिर से मैदान में उतार दिया है। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी के ऐलान के बाद से कड़ी टक्कर मानी जा रही है। मुरैना की दिमनी विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होने के चलते यह सीट पूरे प्रदेश में इस बार उत्सुकता का केंद्र बन गई है।
दिमनी में त्रिकोणीय मुकाबला
भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने इस सीट से मध्यप्रदेश चुनाव प्रबंधन की पूरी जिम्मेदारी निभा रहे नरेंद्र सिंह तोमर का नाम घोषित कर सभी को चौंका दिया था। वर्तमान में इस सीट से कांग्रेस के रवींद्र सिंह तोमर विधायक हैं। कांग्रेस ने इस बार भी यहां से रवींद्र सिंह तोमर पर ही दांव लगाया है। दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी से विधायक रह चुके और इस बार फिर प्रत्याशी बलवीर सिंह दंडोतिया भी तोमर के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। आम आदमी पार्टी ने भी यहां से तोमर समाज से जुड़े सुरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतारा है।
क्या है दिमनी का जातीय समीकरण
लगभग दो लाख 30 हजार 520 मतदाता वाली इस विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाति के करीब 48 हजार, तोमर मतदाता लगभग 60 हजार और ब्राह्मण वर्ग के लगभग 30 हजार वोटर हैं। विधानसभा सीट पर लगभग 90 हजार अन्यजाति के मतदाता जीत के लिये अहम भूमिका निभाते हैं। माना जाता है कि जो प्रत्याशी इन मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में सफल होता है, वह अपनी जीत के लिये आश्वस्त महसूस करता है।
दिमनी सीट का पिछले 20 साल इतिहास
दिमनी सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। वर्ष 2008 में आखिरी बार भाजपा को यहां से जीत मिली थी। इसके बाद से पार्टी जीत के लिए यहां बाट जोह रही है। यह सीट 2003 तक एससी के लिए सुरक्षित थी। 1998 से लगातार 2003 तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है। 2008 में यह सीट सामान्य हो गई। इसके बाद भी यहां भाजपा को जीत मिली थी। वर्ष 2013 में यह विधानसभा सीट भाजपा के हाथों से निकल गई और बसपा के दंडोतिया ने यहां से जीत हासिल की थी। साल 2018 में इस सीट पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया। कांग्रेस प्रत्याशी गिर्राज दंडोतिया ने यहां से जीत हासिल की थी। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी गिर्राज दंडोतिया साल 2020 में सियासी उथलपुथल के बीच भाजपा में चले गए। नवंबर 2020 में उपचुनाव होने पर यहां कांग्रेस के रवींद्र सिंह तोमर ने यहां से जीत हासिल की। इससे ये माना जाने लगा कि दिमनी कांग्रेस का गढ़ बनता जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस के इस किले को भेदने के लिए भाजपा ने अभी यहां से सांसद नरेंद्र सिंह तोमर को मैदान में उतार दिया बै।
मुरैना जिले की दूसरी सीटों का हाल
मुरैना जिले की छह विधानसभा सीटों में से चार पर कांग्रेस का कब्जा है। दो सीट पर भाजपा है। ऐसे में समझा जा रहा है कि भाजपा ने दिमनी से नरेंद्र सिंह तोमर को उतारकर जिले की दूसरी सीटों को भी साधने की कोशिश की है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर-चंबल के क्षेत्र में कांग्रेस ने बड़ी जीत हासिल की थी। उस जीत के श्रेय ज्योतिरादित्य सिंधिया दिया गया था। सिंधिया अब भाजपा में हैं। ऐसे में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के यहां से उतरने से इस पूरे क्षेत्र की 34 विधानसभा सीटों का चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है।
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