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एमपी में BJP की रणनीति से कांग्रेसी खेमे में सरगर्मी, विधायक दल की बैठक बुलाई, क्या बदलेंगे चेहरे?

मध्य प्रदेश में भाजपा की रणनीति को देख कांग्रेस के खेमे में भी हलचल बढ़ती नजर आ रही है। कांग्रेस ने 14 दिसंबर को विधायक दल की बैठक बुलाई है। सवाल यह कि बैठक में क्या फैसले लिए जाएंगे?

Krishna Bihari Singh लाइव हिंदुस्तान, भोपालTue, 12 Dec 2023 09:34 PM
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मध्य प्रदेश में भाजपा की नई टीम लॉन्च किए जाने के बाद कांग्रेस के खेमे में भी हलचल देखी जा रही है। कांग्रेस ने विधायक दल की बैठक 14 दिसंबर को भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बुलाई है। प्रदेश कांग्रेस की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि कांग्रेस विधायक दल कीबैठक 14 दिसंबर गुरुवार को पूर्वान्ह 11.00 बजे प्रदेश कांग्रेस कार्यालय इंदिरा भवन शिवाजी नगर भोपाल में होगी। बैठक में कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और प्रभारी मध्य प्रदेश एवं स्क्रूटनी कमेटी के चेयरमेन भंवर जितेन्द्र सिंह मौजूद रहेंगे।

विधायक दल की बैठक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी मौजूद रहेंगे। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनेगी। नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में कई नाम चर्चा में हैं। पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन, अजय सिंह, पूर्व मंत्री उमंग सिंघार और विधायक राव निवास रावत के नाम इस रेस में गिने जा रहे हैं। 

अजय सिंह पहले भी दो बार नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वहीं बाला बच्चन के पास भी उप नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभालने का अनुभव है। राम निवास रावत ओबीसी चेहरा हैं तो उमंग सिंघार युवा आदिवासी नेता हैं। 

ऐसे में जब भाजपा मध्य प्रदेश में नए चेहरों के साथ लोकसभा चुनाव में उतरने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है। बड़ा सवाल यह कि क्या कांग्रेस भी भाजपा की तरह नए चेहरों को सामने लाएगी या पुराने और अनुभवी दिग्गजों के बलबूते ही लोकसभा चुनाव के समर में उतरेगी। सनद रहे इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने जनाधार को बचाए रखा है।

विश्लेषकों की मानें तो भाजपा ने जब सूबे में ओबीसी चेहरे को सीएम बनाया है तो कांग्रेस इसकी काट के लिए किसी ओबीसी चेहरे को ही नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दे सकती है। सवाल यह भी कि कांग्रेस सूबे के धुरंधर नेताओं में शुमार दिग्विजय सिंह और कमलनाथ से क्या काम लेगी। क्या लोकसभा चुनावों के मद्देनजर इन दोनों नेताओं की भूमिका बढ़ाई जाएगी या भाजपा की तरह ही नए नेताओं को आगे किया जाएगा। बीते विधानसभा चुनावों के नतीजों पर गौर करें तो कई सीटें ऐसी रही हैं जिन पर जीत का अंतर बेहद कम रहा है। 

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