मध्य प्रदेश चुनाव में AAP की एंट्री से BJP-Congress में खलबली, डेढ़ दर्जन सीटों पर मंडराया खतरा
MP Assembly Elections: इनमें वे सीटें शामिल हैं जहां 2018 में हार-जीत का अंतर 1000 वोटों के करीब रहा है। कई सीटों पर तो हार-जीत के मार्जिन वोटों से ज्यादा वोट NOTA को मिले थे।
MP Assembly Elections: इस साल के अंत तक मध्य प्रदेश में विधान सभा चुनाव होने हैं। दिल्ली की सत्ताधारी पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) ने राज्य की सभी 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है और इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। आप ने इस दिशा में एक मिस्डकॉल नंबर जारी किया है, ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोगों को पार्टी से जोड़ा जा सके और उन तक अपनी बातें पहुंचाई जा सके।
दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, गुजरात की तरह एमपी में भी आप लोगों को मुफ्त बिजली-पानी देने का वादा कर सकती है। इसके अलावा संविदा पर बहाल कर्मियों को स्थाई करने का मुद्दा उछाल सकती है। आप के चुनावी मैदान में उतरने से सत्ताधारी बीजेपी और 2018 के चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस को करीब डेढ़ दर्जन सीटों पर खतरा मंडराने लगा है।
इनमें वे सीटें शामिल हैं जहां 2018 में हार-जीत का अंतर 1000 वोटों के करीब रहा है। कई सीटों पर तो हार-जीत के अंतर से ज्यादा वोट NOTA को मिले थे। ऐसे में आप के उतरने से इन सीटों पर जीत का समीकरण बिगड़ सकता है।
बीना: 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के महेश राय ने कांग्रेस के शशि कठोरिया को 632 मतों से हराया था। बीजेपी बड़ी मुश्किल से इस सीट को बरकरार रख पाई थी।
कोलारस: बीजेपी के बीरेंद्र रघुवंशी ने कांग्रेस के महेंद्र रामसिंह यादव को 720 वोटों से हराया था। ये सीट बीजेपी ने कांग्रेस से छीनी थी।
जावरा: BJP के राजेंद्र पांडेय उर्फ राजू भैया ने कांग्रेस के केके सिंह कालूखेड़ा को 511 मतों से हराया बीजेपी ने इस सीट को बरकरार रखा था।
ग्वालियर दक्षिण: 2018 के चुनावों में कांग्रेस के प्रवीण पाठक ने बीजेपी के सीटिंग विधायक नारायण सिंह कुशवाह को 121 मतों से हराया था।
सुवासरा: कांग्रेस के हरदीप सिंह डांग ने बीजेपी के राधेश्याम नानालाल पाटीदार को 350 वोटों से हराया था। बाद में उन्होंने दल बदलकर बीजेपी का दामन थाम लिया और 2020 में दोबारा यहां से चुने गए।
जबलपुर उत्तर: कांग्रेस के विनय सक्सेना ने भाजपा के सीटिंग विधायक शरद जैन को 578 मतों से हराया था।
राजनगर: कांग्रेस के विक्रम सिंह उर्फ नाटी राजा ने बीजेपी के अरविंद पटेरिया को 732 मतों से हराया था। कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा था।
दमोह: कांग्रेस के राहुल सिंह ने बीजेपी के मौजूदा विधायक जयंत मलैया को 798 वोटों से हराया था।
ब्यावरा: कांग्रेस के गोवर्धन दांगी ने भाजपा विधायक नारायण सिंह पंवार को 826 मतों से हराया था। बाद में गोवर्धन दांगी ने पाला बदल लिया और बीजेपी में शामिल हो गए लेकिन 2020 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में रामचंद्र दांगी ने कांग्रेस जीत दर्ज की।
राजपुर (एसटी): कांग्रेस के बाला बच्चन ने बीजेपी के अंतर सिंह पटेल को 932 वोटों से हराया था। कांग्रेस ने इस सीट को बरकरार रखा था।
देवतालाब: भाजपा के गिरीश गौतम ने बसपा के सीमा जयवीर सिंह सेंगर को 1,080 मतों से हराया था। बीजेपी ने यहां भी अपनी सीट बरकरार रखी थी।
इंदौर-5: भाजपा के महेंद्र हार्डिया ने कांग्रेस के सत्यनारायण पटेल को 1,133 वोटों से हराया था। बीजेपी ने इस सीट को बरकरार रखा था।
मांधाता: कांग्रेस के नारायण पटेल ने बीजेपी के नरेंद्र सिंह तोमर को 1,236 वोटों से हरायाथा। कांग्रेस ने यह सीट भाजपा से छीन ली थी। बाद में पटेल भी पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए और 2020 का उपचुनाव जीता।
नेपानगर: कांग्रेस की सुमित्रा देवी कासडेकर ने भाजपा की सीटिंग विधायक मंजू राजेंद्र दादू को 1,264 वोटों से हराया था। कांग्रेस ने यह सीट बीजेपी से छीन ली थी। बाद में कासडेकर भी पाला बदलकर बीजेपी में शामिल हो गईं और 2020 का उपचुनाव जीता।
जोबट: यहां कांग्रेस के खिलाफ भाजपा की हार सिर्फ 2,057 मतों से हुई थी। यहां नोटा को 5,139 वोट मिले थे।
गुन्नौर: भाजपा इस सीट पर 1,982 मतों से हारी थी, जबकि नोटा को 3,734 वोट मिले थे। बीजेपी को 55,676 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस को 57,658 वोट मिले थे।
पेटालावाड़: भाजपा इस सीट पर कांग्रेस से 5,000 मतों के अंतर से हार गई थी, जबकि नोटा को 148 मत अधिक मिले थे।
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