हाईकोर्ट ने 6 महीने से ज्यादा के गर्भ के अबॉर्शन की दी इजाजत, डिलीवरी के बाद 24 घंटे जिदा रहा नवजात
मेडिकल बोर्ड ने अपनी जांच रिपोर्ट में गर्भ को 24 सप्ताह से ऊपर का बताया। किशोरी की मां ने गर्भ का अबॉर्शन कराने की अनुमति दे दी। स्त्री रोग विशेषज्ञों ने लड़की की जान को खतरा बताया था।
एक रेप पीड़िता किशोरी लोकलाज के भय से अपना गर्भ गिराना चाह रही थी। इस पर मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट ने आदेश देकर लीगल तरीके से गर्भपात कराया। गर्भ 6 माह 1 हफ्ते का था। जानकारी के मुताबिक, हाईकोर्ट जबलपुर के आदेश पर रेप पीड़िता के पेट में पल रहे 6 माह 1 सप्ताह के गर्भ का मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी (एमटीपी) यानी वैधानिक तरीके से गर्भपात किया गया।
रीवा संभाग का यह पहला मामला है जब 6 माह 1 सप्ताह के गर्भ को लीगली तौर पर गिराने के लिए हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। गौरतलब है कि सतना जिले में 14 वर्षीय किशोरी के साथ 30 वर्षीय युवक ने करीब डेढ़ साल तक दुराचार किया था। मगर लोकलाज और भय की वजह से किशोरी ने इसकी जानकारी किसी को नहीं दी थी। घटना का पता तब चला जब किशोरी को गर्भ ठहर गया। मां की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ अपहरण और बलात्कार का मामला पंजीबद्ध किया गया।
गर्भपात कराने के लिए राजी थी मां
मामला किशोरी का होने की वजह से कलेक्टर सतना ने केस को जिला बाल कल्याण समिति को सौंप दिया। सीडब्ल्यूसी ने अपने स्तर पर किशोरी का मेडिकल परीक्षण कराया। मेडिकल बोर्ड ने अपनी जांच रिपोर्ट में गर्भ को 24 सप्ताह से ऊपर का बताया। किशोरी की मां ने गर्भ का अबॉर्शन कराने की अनुमति दे दी। एमटीपी के लिए जब स्त्री रोग विशेषज्ञों की सलाह ली गई तो उन्होंने इसके लिए किशोरी की जान का खतरा बताया।
लड़की की जान को था खतरा
मेडिकल बोर्ड ने एमटीपी के लिए किशोरी को रीवा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। बाल कल्याण समिति अध्यक्ष राधा मिश्रा ने कहा कि ऐसा मामला आया था। स्थानीय मेडिकल बोर्ड ने जब बताया कि गर्भ 24 सप्ताह से ऊपर है तो इसके लिए माननीय हाईकोर्ट से आदेश होना जरूरी था। हम उच्च न्यायालय गए जहां से न्यायाधीश ने मेडिकल कॉलेज के डीन को आदेश दिया। सुरक्षित एमटीपी किया गया और पीड़िता भी स्वस्थ है।
हाईकोर्ट पहुंची थी बाल कल्याण समिति
24 सप्ताह से ऊपर गर्भ का एमटीपी करने का फैसला बाल कल्याण समिति नहीं ले सकती। इसलिए वह हाईकोर्ट जबलपुर की शरण में पहुंची। समिति की अध्यक्ष राधा मिश्रा ने सीनियर एडवोकेट दिव्यकीर्ति बोहरे से संपर्क साधा। एडवोकेट ने एमटीपी के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन लगाया। न्यायाधीश एसए धर्माधिकारी की सिंगल बेंच ने जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के डीन को आदेशित किया कि हफ्ते भर के अंदर गर्भवती किशोरी की जांच कर पूरी सुविधा के साथ एमटीपी कराएं।
24 घंटे जिंदा रहा नवजात
पीड़िता की देखभाल के लिए सतना से चाइल्ड लाइन की काउंसलर आभा विश्वास को जबलपुर भेजा गया। वह पूरे समय किशोरी के साथ रहीं। पूरी जांच करने के बाद डॉक्टरों की टीम ने रेप पीड़िता के पेट में पल रहे 6 माह 1 सप्ताह के गर्भ का एमटीपी करने का निर्णय लिया। 26 जून को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी किया गया।
प्रीमेच्योर डिलीवरी होने की वजह से 24 घंटा जिन्दा रहने के बाद नवजात की मौत हो गई। 29 जून को किशोरी पूर्ण स्वस्थ होकर सतना पहुंची और उसे सुरक्षित घर पहुंचाया गया। इस पर महिला एवं बाल विकास विभाग के डीपीओ सौरभ सिंह ने कहा कि यह रेयर केस था जिसमें हमें एमटीपी के लिए हाई कोर्ट तक जाना पड़ा।
प्रीमेच्योर डिलीवरी होने की वजह से नवजात को तो नहीं बचाया जा सका मगर किशोरी पूर्ण रूप से स्वस्थ है। विभाग की यह बड़ी उपलब्धि है। मेरी याद में संभाग का यह पहला मामला है। अब जल्द ही किशोरी के पुनर्वास की व्यवस्था होगी।
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