पढ़ने की कोई उम्र नहीं, नेपानगर की विधायक सुमित्रा कास्डेकर 24 साल बाद देंगी हाई स्कूल का एग्जाम; ये है वजह
मध्य प्रदेश के नेपानगर की वर्तमान विधायक सुमित्रा कास्डेकर इस बार हाई स्कूल की परीक्षा दे रही हैं। दरअसल, उस समय सुमित्रा कास्डेकर गांव में स्कूल न होने के चलते 10 वीं तक भी नहीं पढ़ पाई थीं।
पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती और अगर कोई ठान ले तो कभी भी पढ़ाई शुरू की जा सकती है। इस बात को चरितार्थ किया है नेपानगर की MLA सुमित्रा कास्केड ने। वर्तमान विधायक सुमित्रा कास्डेकर मध्य प्रदेश बोर्ड की कक्षा 10वीं की परीक्षा देंगीं। उन्होंने स्वाध्यायी विद्यार्थी के रूप में फार्म भरा है। उनका प्रवेश पत्र भी जारी हो गया है। इस पर बचपन का नाम बाली सेमलकर लिखा है। इसी नाम से वे परीक्षा में शामिल होंगीं। हालांकि फोटो पर उनके हस्ताक्षर सुमित्रा कास्डेकर हैं। पढ़ाई छोड़ने के 21 साल बाद वे हाई स्कूल की परीक्षा में शामिल हो रहीं हैं। उन्होंने कहा पढ़ाई की कोई उम्र नहीं होती। शिक्षा सबके लिए जरूरी है।
मध्य प्रदेश में कक्षा 10वीं की परीक्षा 1 मार्च से शुरू हो रही है। विधायक सुमित्रा कास्डेकर ने देडतलाई के शासकीय मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल से परीक्षा का फार्म भरा है। उन्हें परीक्षा केंद्र बुरहानपुर का शासकीय सुभाष उत्कृष्ट हायर सेकंडरी स्कूल मिला है। यहां वे अन्य विद्यार्थियों के साथ सामान्य छात्रा के रूप में परीक्षा में शामिल होंगी। परीक्षा में उनके विषय हिंदी, सामाजिक विज्ञान, गणित, संस्कृत, अंग्रेजी और विज्ञान रहेंगे। माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा जारी प्रवेश पत्र पर उनके पिता लाबू सेमलकर व मां जानकी बाई का नाम भी है।
नेपानगर की विधायक सुमित्रा कास्डेकर का जन्म महाराष्ट्र के अमरावती जिले के सेमाडोह में 15 अगस्त 1983 को हुआ था। स्कूल के दस्तावेजों में उनका नाम बाली सेमलकर दर्ज है। सुमित्रा उनका जन्म का नाम है। उन्होंने 8 वीं तक शिक्षा प्राप्त की। गांव में स्कूल नहीं होने के कारण इसके आगे नहीं पढ़ पाईं। 1999 में उनकी शादी देड़तलाई के वेटनरी डॉक्टर राजेश कास्डेकर से हुई। राजेश गायत्री परिवार बुरहानपुर के ट्रस्टी भी हैं। शादी के बाद भी उनकी पढ़ने की इच्छा रही, लेकिन जिम्मेदारियों के कारण वे इसे पूरा नहीं कर पाईं। अब वे कक्षा 10वीं की परीक्षा दे रहीं हैं। परीक्षा 1 से 20 मार्च तक चलेगी।
राजनीतिक बैकग्राउंड होने के चलते शादी के बाद सुमित्रा ने 2009 में सरपंच का चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं पाईं। इसके बाद 2018 में जनपद सदस्य का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2018 में कांग्रेस के टिकट पर नेपानगर विधानसभा सीट से विधायक बनीं। बाद में वे भाजपा में शामिल हो गईं और 2020 उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक चुनीं गईं। लंबे समय तक सियासत सफर तय करने के बाद अब वो अपने शैक्षिक सफर के पहले पड़ाव यानी हाई स्कूल की परीक्षा में बैठ रही हैं।
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