Hindi Newsमध्य प्रदेश न्यूज़idols of Saptarshi to be constructed of stones third time after idols broke in storm last year

महाकाल लोक में लगेंगी पत्थर की मूर्तियां, तीसरी बार होगा बदलाव; इस वजह से बना प्लान

मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल लोक में लगी सप्तऋषियों की मूर्ति को बदलने की तीसरी बार तैयारी की जा रही है। फाइबर की बनी इन मूर्तियों को अब पत्थर की मूर्तियां बनाई जाएंगी।

Abhishek Mishra लाइव हिन्दुस्तान, उज्जैनWed, 3 April 2024 12:27 PM
share Share

मध्य प्रदेश के उज्जैन में महाकाल लोक में लगी सप्तऋषियों की मूर्ति को बदलने की तीसरी बार तैयारी की जा रही है। फाइबर की बनी इन मूर्तियों को अब पत्थर की मूर्तियां बनाने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए भगवान श्री राम की प्रतिमा का स्कैच बनाने वाले बनारस के कलाकार सुनील विश्वकर्मा ने ही सप्तऋषियों की मूर्तियों का स्कैच बनवाया गया है। ओर ओडिशा के कोणार्क से 10 कलाकार इसे बनाने में 6 माह का समय लगाएंगे। बताया जा रहा है कि शिवराज सरकार बदलते ही नए सीएम डॉ. मोहन यादव ने यहां पत्थर की मूर्तियां लगाने का आदेश दिया था। इन मूर्तियों को मशीनों से नहीं हाथों से ही तराशा जाएगा।

उज्जैन के महाकाल लोक में सप्तऋषियों की मूर्तियों को 11 महीने में तीसरी बार बदलने की तैयारी की जा रही है। इस बार 2.50 करोड़ की लागत से पत्थरों की मूर्तियां लगाई जाएंगी।उज्जैन के हरि फाटक के पास स्थित हाट बाजार में इन प्रतिमाओं का निर्माण किया जा रहा है। ओडिशा के कलाकारों ने मूर्तियों को तराशने का काम शुरू कर दिया है।

पहले फेज में सप्तऋषि की मूर्तियां बनाई जाएंगी, इसके बाद बाकी मूर्तियों को भी बदला जाएगा। इसके लिए प्रशासन नया एस्टीमेट तैयार कर रहा है। महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ इन मूर्तियों को तैयार करवा रहा है। गौरतलब है कि पिछले साल 29 मई को सप्तऋषि की 7 में से 6 मूर्तियां आंधी-तूफान की वजह से धराशायी हो गई थी। 66 लाख रुपए में फाइबर रीइन्फोर्स प्लास्टिक (FRP) से बनी ये मूर्तियां भीतर से खोखली थीं। मूर्तियों के गिरने के बाद तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इन्हें नए सिरे से बनाने के निर्देश दिए थे। अगस्त 2023 में एक बार फिर नई मूर्तियां लगाई गईं। 

त्रिवेणी संग्रहालय के क्यूरेटर अशोक मिश्रा बताते हैं, ऋषि अत्रि, कश्यप, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ, भारद्वाज और विश्वामित्र की मूर्ति को तैयार करने के लिए 8 से 10 कलाकारों की टीम काम करेगी। हर मूर्ति 15 फीट ऊंची, 10 फीट चौड़ी और 4.5 फीट मोटी होगी। सुनील कहते हैं कि हर मूर्ति का स्कैच प्रतिमा विज्ञान के आधार पर तैयार किया है। इसके लिए विभिन्न पौराणिक ग्रंथ का अध्ययन किया। इससे पता चला कि सप्तऋषियों में कौन से ऋषि किस विधा के जानकार थे। उनका स्वभाव कैसा था, ग्रंथ में दी गई डिटेल के आधार पर उनके शारीरिक सौष्ठव की कल्पना की गई है।

ओडिशा से मूर्ति बनाने आये कलाकार का कहना है कि उनका परिवार पिछले 200 सालों से मूर्तिकला से जुड़ा है। वे खुद 22 साल से इस काम को कर रहे हैं। अभी महाकाल लोक में जो मूर्तियां लगी हैं वो आध्यात्मिकता का एहसास नहीं करातीं। अब जो मूर्तियां वो बनाएंगे वो जीवंत दिखेंगी और आध्यात्मिकता का अनुभव भी होगा। वे कहते हैं कि इन्हें डिजाइन के मुताबिक ही तैयार किया जाएगा। इन्हें तैयार करने में आधुनिक मशीनों का नहीं, बल्कि छैनी हथौड़ी का ही इस्तेमाल होगा। ईश्वरचंद बताते हैं कि मूर्ति बनाने में पत्थर की कटिंग करना मुश्किल काम होता है। इसके जरिए मूर्ति का आकार और शेप तय होता है।जब कटिंग हो जाती है तो फिर इसकी नक्काशी के लिए उन कलाकारों को बुलाया जाता है जो अपनी विधा में पारंगत होते हैं। वे कहते हैं कि हम परंपरागत तरीके से ही मूर्ति को आकार देंगे। ऋषियों के स्वभाव के अनुसार चेहरे पर भाव प्रकट करेंगे।

महाराज विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी बताते हैं, शिव और सप्त ऋषि की मूर्ति का निर्माण 6 महीने में होगा। ओडिशा के कोणार्क से 10 कलाकार ईश्वरचन्द्र महाराणा, जितेन्द्र स्वाई, गंगा पालुआ, शिबुना कांडी, मुन्ना बेहरा, कंडुरीदास, कार्तिक दास, प्रशांत कांडी, पूर्णचन्द्र कांडी इन्हें तैयार कर रहे हैं। ये पत्थर की शुरुआती कटिंग का काम करेंगे। इसके बाद मूर्ति को तराशने बाकी कलाकार भी आएंगे। 

मूर्तियों के हवा में गिरने पर कांग्रेस, सरकार पर हमलावर हो गई थी। कांग्रेस ने महाकाल लोक प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। लगातार विरोध के बीच सप्तऋषि की 6 मूर्तियों को रिपेयर करने की योजना बनाई गई, लेकिन विरोध ज्यादा बढ़ने पर तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इन्हें नए सिरे से बनवाने की बात कही थी सप्तऋषि की मूर्तियों को मुंबई में तैयार कराकर अगस्त 2023 में इन्हें महाकाल लोक में स्थापित किया गया था।

ठेकेदार से अनुबंध होने के चलते सरकार को कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं करना पड़ा। दावा किया गया कि नई मूर्तियां मजबूत हैं। इनका बेस भी मजबूत रहेगा। पुरानी गलती को दुरुस्त करते हुए इन्हें लोहे की राड और सीमेंट-कंक्रीट मटेरियल से स्थापित किया गया। मूर्तियों के जॉइंट भी मजबूती से जोड़े गए।

(रिपोर्ट: विजेन्द्र यादव)

 

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें