मध्य प्रदेश में स्वाइन फीवर से मर गए 100 सुअर, विभाग ने जारी किया अलर्ट; दो जिलों में प्रकोप
पशु पालक ने बताया है कि मरने से करीब 48 घंटे पहले से सुअर खाना-पीना छोड़ देते थे, उनका मुंह-कान व आंख लाल हो जाता तथा मुंह से लार टपकने के साथ ही वो लंबी-लंबी सांस खींचना शुरू कर देते थे।
मुरैना जिले के रामपुर कला गांव में स्वाइन फीवर से विगत 15 दिन में 100 से अधिक पालतू सुअरों की मौत होने का मामला सामने आया है। पशु पालक मरे हुए सुअरों को गांव से सटे जंगल मे फेंककर आ रहे है, जिससे ग्रामीणों का जीवन संकट में आ गया है। इस मामले में पशु चिकित्सा विभाग ने पहले तो अनभिज्ञता जाहिर की, लेकिन बाद में दो डॉक्टरों की टीम गांव में भेजकर मामले की जांच कराई। डॉक्टरों की टीम आज पशु पालकों के घर पहुंचकर शेष बचे हुए सुअरों को इंजेक्शन और पाउडर की खुराक देकर वापस लौट आई है। विभाग ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मुरैना में अलर्ट भी जारी किया है।
जानकारी के अनुसार, जिले की सबलगढ़ तहसील के अंतर्गत आने वाले रामपुरकला गांव निवासी सोनू बाल्मीकि के पास करीब 115 सुअर थे। इनमें से 50 बच्चे जो 15 से 30 दिन की उम्र के थे। इसके अलावा करीब 65 बडे सुअर थे। सोनू के अनुसार विगत 27-28 अप्रैल से कभी 5 तो कभी 10 व कभी 15 की संख्या में सुअर मरने लगे। उसने अपने स्तर से सुअरों का काफी उपचार किया, लेकिन वह अपने पशुओं को बचा नहीं पाया। इस तरह विगत 15 दिन के अंदर उसके 110 छोटे-बड़े सुअरों की मौत हो गई। मरने से करीब 48 घंटे पहले से सुअर खाना-पीना छोड़ देते थे, उनका मुंह-कान व आंख लाल हो जाता तथा मुंह से लार टपकने के साथ ही वो लंबी-लंबी सांस खींचना शुरू कर देते थे। सुअरों में यह बीमारी श्योपुर के बाद अब मुरैना जिले में प्रवेश कर गई है।
ग्रामीणों ने बताया कि, सुअरों की मौत के बाद सोनू बाल्मीकि उनको गांव किनारे जंगल मे खुले में फेंक देता था, जिससे तेज दुर्गंध के कारण गांव में महामारी फैलने का खतरा बढ़ गया है। उन्होंने इसकी शिकायत आज पुलिस व पशु चिकित्सा विभाग में की तो आज दो डॉक्टरों की टीम गांव में पहुंची। डॉक्टरों ने सोनू बाल्मीकि के घर पहुंचकर बचे हुए 3-4 सुअरों का उपचार किया। डॉक्टर, सुअरों को इंजेक्शन व पाउडर की खुराक देकर आये है।
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर पचौरिया ने बताया कि रामपुरकला गांव में सुअरों की मौत होने की खबर मिली थी। आज दो डॉक्टरों की टीम गांव में भेजी गई है। मृत सुअरों में जो लक्षण बताए गए है, वह स्वाइन फीवर की तरफ इशारा कर रहे है। इससे लोगों के जीवन को कोई खतरा नहीं है। बचे हुए सुअरों का उपचार किया जा रहा है।
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