EWS का लाभ सिर्फ सामान्य वर्ग को देना अन्याय, याचिका पर हाई कोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस
याचिकार्ता ने तर्क दिया है कि गरीब सभी श्रेणियों और जातियों में मौजूद है लेकिन, ईडब्ल्यूएस का लाभ केवल सामान्य वर्ग के लोगों को ही दिया जा रहा है, जो असंवैधानिक है।
आर्थिक रूप से कमजोर (EWS) का कोटा का लाभ केवल सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को देने को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट ने सरकार को छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। दरअसल, याचिकार्ता ने तर्क दिया है कि गरीब सभी श्रेणियों और जातियों में मौजूद है लेकिन, ईडब्ल्यूएस का लाभ केवल सामान्य वर्ग के लोगों को ही दिया जा रहा है।
शनिवार को मामले की सुनवाई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि विजय मलिमथ एवं न्यायमूर्ति विशाल मिश्र की युगलपीठ ने की। "एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस" नामक संगठन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से छह सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि यद्यपि गरीब सभी श्रेणियों और जातियों में मौजूद हैं, लेकिन ईडब्ल्यूएस का लाभ केवल सामान्य वर्ग को दिया जाता है, जो अन्यायपूर्ण है।
याचिकाकर्ता के एक वकील रामेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा, 'भारत सरकार द्वारा जारी ईडब्ल्यूएस नीति असंगत है। याचिकाकर्ता ने संविधान की धारा 15(6) और 16(6) के तहत केंद्र सरकार को चुनौती दी है। 2019 के 103वें संशोधन में एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण के तहत कवर नहीं किए गए लोगों को 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 15(6) और 16(6) को शामिल किया गया था
संविधान में तर्क दिया गया कि ओबीसी, एससी-एसटी को लाभ से बाहर रखा जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि ईडब्ल्यूएस नीति अनुच्छेद 14 के खिलाफ है। इतना ही नहीं, ईडब्ल्यूएस आरक्षण विशेष आरक्षण है, जो असंवैधानिक है जो गरीबों के साथ जातिगत आधार पर भेदभाव करती है।
शुरुआती सुनवाई के बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब पेश करने के लिए नोटिस जारी किया है।
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