रामलला की मूर्ति पर भी दिग्विजय सिंह ने उठा दिए सवाल, क्या-क्या आपत्ति
निर्माणाधीन राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर आपत्ति जाहिर कर चुके कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने रामलला की मूर्ति पर भी सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने कहा है कि मूर्ति बाल स्वरूप नहीं है।
निर्माणाधीन राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर आपत्ति जाहिर कर चुके कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने अब रामलला की मूर्ति पर भी सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने गर्भगृह में स्थापित की गई मूर्ति को लेकर कहा है कि यह बाल स्वरूप नहीं है। उन्होंने एक बार फिर यह सवाल उठाया कि रामलला की पुरानी मूर्ति कहां हैं। अपनी बात को मजबूत करने के लिए उन्होंने जोशीमठ में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज का भी सहारा लिया।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर कहा, 'मैं तो शुरू से यही कह रहा हूं जिस रामलला की मूर्ति रखे जाने पर विवाद हुआ विध्वंस हुआ वह कहां है? दूसरी मूर्ति की क्या आवश्यकता थी? हमारे गुरु स्व द्वारिका व जोशीमठ में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने यह भी सुझाव दिया था कि राम जन्म भूमि मंदिर में भगवान राम की मूर्ति बाल स्वरूप हो कर मां कौशल्या की गोद में होना चाहिए। लेकिन जो मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है वह तो बाल स्वरूप की नजर नहीं आती है।'
दिग्विजय ने पोस्ट के साथ एक न्यूज वीडियो को भी साझा किया है जिसमें निर्वाणी अखाड़े के महंत धर्मदास नई मूर्ति रखे जाने पर आपत्ति जाहिर की है। धर्मदास ने कहा है कि जिन रामलला विराजमान के हक में कोर्ट का फैसला आया उन्हें ही गर्भगृह में स्थापित करना चाहिए। अयोध्या विवाद में पक्षकार रहे धर्मदास ने कहा कि पुरानी मूर्ति के हक में ही फैसला आया था। उन्होंने कहा कि पुरानी मूर्ति की जगह कोई दूसरी मूर्ति नहीं रख सकता है।
रामनगरी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में गुरुवार को रामलला विग्रह को अपने आसन पर स्थापित कर दिया गया। मंदिर के गर्भगृह में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच रामलला के विग्रह की स्थापना हुई। कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज के द्वारा तराशी गई 51 इंच की प्रतिमा श्याम रंग की है, जिसका वजन दो टन बताया गया है। फिलहाल प्रतिमा को अभी ढका गया है।
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