ना फेरे ना मंत्र, संविधान की शपथ ली और हो गई शादी; MP में अनूठा विवाह, आमंत्रण कार्ड भी दिलचस्प
दूल्हे ने कहा कि हमारा संविधान देश के सभी नागरिकों को चाहे वह किसी भी जाति, किसी भी धर्म, किसी भी लिंग और किसी भी समुदाय का हो, संविधान का आर्टिकल 21 जो हमें राइट-टू-चूज का अधिकार देता है।
मध्य प्रदेश के बैतूल में एक अनोखा विवाह हुआ है। करीब 12 साल तक चले अफेयर के बाद एक वकील और टीचर ने अनूठी शादी रचाई है। बैतूल जिले में हुए इस विवाह में ना तो अग्नि के फेरे हुए और ना ही किसी पंडित ने कोई मंत्र पढ़ा। इस शादी में अन्य कोई रस्म नहीं निभाई गई। दूल्हा-दुल्हन ने भारत के संविधान के प्रति हाथ में रखकर उसकी प्रस्तावना पढ़कर नया रिश्ता शुरू किया और जीवन भर साथ निभाने का वादा किया। यहां तक कि शादी का आमंत्रण कार्ड भी संविधान की थीम पर छपवाया गया था। विवाहित दूल्हा-दुल्हन का कहना है कि देश का संविधान हमें 'राइट टू चूज' का अधिकार देता है। इसी के तहत हमने इस तरह शादी की।
बैतूल में रजक समाज से जुड़े सेवानिवृत क्लर्क लक्ष्मण बुंदेला के बड़े बेटे दर्शन बुंदेला पेशे से वकील हैं और जिला न्यायालय में वकालत करते हैं। दर्शन सामाजिक कामों में भी सक्रिय हैं। वहीं राजश्री हरदा जिले के एक्सीलेंस स्कूल में हायर सेकेंडरी क्लास की टीचर हैं। इससे पहले वे महिला एवं बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक थीं। भूगोल विषय में गोल्ड मेडलिस्ट राजश्री एमए तक पढ़ी हैं। उनके पिता भी टीचर हैं। दर्शन की राजश्री से उनकी दोस्ती 12 साल पहले कॉलेज में हुई थी। इस दौरान दोनों साथ मिलकर सामाजिक कार्य करने लगे। साथ काम करते करते हुए दोनों में नजदीकियां बढ़ गईं और ये दोस्ती प्यार में बदल गई। 12 साल के अफेयर के बाद दोनों शादी के बंधन में बंध गए। जानकारी के अनुसार, दर्शन वही वकील हैं जिनके भाइयो को पुलिसवालों ने पीटा था इसके लिए हाईकोर्ट तक लम्बी लड़ाई लड़ी गई थी।
दूल्हे ने कही यह बात
विवाह को लेकर दर्शन का कहना है कि देश में मौजूदा दौर में देखा जा रहा है कि लोग अपनी जाति, अपने धर्म और अपनी परम्पराओं के अनुरूप अपना विवाह रचाते हैं। जाति के आधार पर भेदभाव हो रहा है। तब हमने फैसला किया कि बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा लिखे गए संविधान हमे स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार प्रदान करता है। देश मे आज जाति धर्म के आधार पर अराजकता का माहौल देखा जा रहा है। इस सबसे अलग हटकर हमने ये तय किया था कि, हम अपना विवाह संविधान की शपथ लेकर रचाएंगे और समाज को ये संदेश देने का प्रयास करेंगे कि देश मे रहने वाला प्रत्येक नागरिक एक है और पूर्ण स्वतंत्र है।
हमारा संविधान देश के सभी नागरिकों को चाहे वह किसी भी जाति, किसी भी धर्म, किसी भी लिंग और किसी भी समुदाय का हो, संविधान का आर्टिकल 21 जो हमें राइट-टू-चूज का अधिकार देता है। उसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए आज इस प्रस्तावना को पढ़ते हुए हमने विवाह किया है और एक दूसरे को जीवन साथी बनाया है।
संविधान ने हमें मौलिक अधिकार दिए हैं - दुल्हन
दुल्हन बनी राजश्री कहती हैं कि हम जब अपने पेरेंट्स की बात मानते हैं, तो पेरेंट्स भी बच्चों की बात को सुने समझे। हमेशा फैसला किसी एक का नहीं हो सकता। परिवार जब मिलकर फैसला लेता है, तो रिश्ते आगे बढ़ते हैं। संविधान ने हमें मौलिक अधिकार दिए हैं। जिन्हें कोई नहीं छीन सकता। स्वतंत्रता का अधिकार, पसंद को चुनने का अधिकार बहुत महत्वपूर्ण है। लोग इस बात को समझते नहीं है कि यह भविष्य में कितनी मुसीबत लेकर आता है। यदि आप अपनी पसंद को चुनने का अधिकार देते हैं, तो इससे सभी का जीवन सुखमय होता है। इसी कानून का उपयोग करते हुए हम इस बंधन में बंधे हैं।
रिपोर्ट: विजेन्द्र यादव
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।