मोदी मैजिक और 'चाणक्य' की रणनीति, मध्य प्रदेश में BJP की जीत और CONG की हार के पीछे ये 5 अहम वजह
मध्य प्रदेश में चुनाव की घोषणा के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां खुद सामने आकर मोर्चा संभाल लिया था। राज्य में सत्ता बरकरार रखने को भाजपा ने भी मोदी मैजिक पर पूरा भरोसा किया।
मध्य प्रदेश में भाजपा को एक बार फिर छप्परफाड़ जीत हासिल हुई है। भाजपा की इस ऐतिहासिक जीत में मोदी मैजिक के साथ ही अमित शाह की रणनीति और शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी 'लाडली बहना योजना' का अहम रोल रहा। मध्य प्रदेश की 230 सीटों में से BJP 163 सीट, कांग्रेस 66 सीट और 1 सीट पर भारत आदिवासी पार्टी ने जीत दर्ज की है। भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार के लिए एक-दो नहीं बल्कि पांच-पांच अहम वजह रहीं।
मध्य प्रदेश में चुनाव की घोषणा के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां खुद सामने आकर मोर्चा संभाल लिया था। राज्य में सत्ता बरकरार रखने को भाजपा ने भी मोदी मैजिक पर पूरा भरोसा किया। उनकी रैली में भारी भीड़ उमड़ी। पार्टी के इस चुनाव प्रचार में 'एमपी के मन में मोदी, मोदी के मन में एमपी' मुख्य नारा रहा। मध्य प्रदेश में भाजपा ने जहां बड़ी जीत दर्ज करते हुए अपनी चमक बिखेरी, लेकिन गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा सहित शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट के 12 मंत्री चुनाव हार गए।
भाजपा की जीत और कांग्रेस की हार की ये अहम वजह
भाजपा की जीत के 5 कारण | कांग्रेस की हार के 5 वजह |
1. प्रधानमंत्री मोदी की सीधी गारंटी | 1. कमजोर चुनाव प्रचार |
2. लाडली बहना योजना | 2. पार्टी नेताओं में गुटबाजी |
3. बड़े नेताओं को मैदान में उतारना | 3. शिवराज के मुकाबले कमलनाथ कमजोर |
4. भावी मुख्यमंत्री पेश नहीं करना | 4. दूसरी पंक्ति के नेताओं की कमी |
5. एमपी के मन में मोदी, मोदी के मन में एमपी से जनता को जोड़ा | 5. कमजोर संगठन |
भाजपा की यह रणनीति आई काम
भाजपा के 'चाणक्य' माने जाने वाले शाह ने सितंबर में चुनाव प्रबंधन को नियंत्रित करने और रणनीतियों को तैयार करने का कठिन काम अपने ऊपर ले लिया। उन्होंने राज्य का व्यापक दौरा किया। टिकट बंटवारे के बाद असंतोष को दूर करने के लिए वह एक बार तीन दिन तक मध्य प्रदेश में रहे। उन्होंने बागियों को चुनाव मैदान से अपना नाम वापस लेने के लिए मजबूर किया और पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया। सत्ता विरोधी लहर को दूर रखने के लिए उन्होंने चौहान को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश नहीं किया।
भाजपा के 2003 में सत्ता में आने के बाद यह पहला मौका था, जब भाजपा ने अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार का चेहरा पेश नहीं किया। चौहान को चुनाव से पहले जनता तक पहुंचने के लिए जन आशीर्वाद यात्रा का नेतृत्व करने के अवसर से भी वंचित कर दिया गया था। इसके बजाय, राज्य के पांच अलग-अलग इलाकों से पांच जन आशीर्वाद यात्राएं निकाली गईं, जिन्हें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं केंद्रीय मंत्रीगण अमित शाह, नितिन गडकरी एवं राजनाथ सिंह ने हरी झंडी दिखाई। शाह ने मध्य प्रदेश के लिए योजना बनाते समय कई समीकरणों का ध्यान रखा।
कांग्रेस की तुलना में भाजपा को मिले करीब 8 फीसदी अधिक वोट
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को लगभग 48.55 प्रतिशत वोट मिले जो कांग्रेस की तुलना में 8 फीसदी अधिक हैं। इस बढ़त की बदौलत भाजपा ने न केवल 163 सीट पर जीत दर्ज की है, बल्कि मध्य प्रदेश की द्वि-ध्रुवीय राजनीति में अपनी स्थिति भी पहले से मजबूत कर ली है। भाजपा को 163 सीटों के साथ लगभग 48.55 प्रतिशत वोट मिले, जबकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत 40.89 (2018) के मुकाबले लगभग 40.40 ही रहा और कुल सीटों की संख्या 114 से घटकर 66 हो गई। हालांकि, करीब आठ प्रतिशत मतों की बढ़त ने भाजपा को 2018 में 109 सीटों से 2023 में 163 सीटों पर पहुंचा दिया।
2003 में भाजपा को 42.50 प्रतिशत वोट मिले थे और वह 173 सीटों पर विजयी हुई थी, जबकि कांग्रेस को 31.6 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने 38 सीट पर कब्जा किया था। इसी तरह 2008 में भाजपा का वोट प्रतिशत 143 सीटों के साथ 37.64 था, जबकि कांग्रेस का 71 सीटों के साथ 32.39 प्रतिशत था।
2013 में भाजपा को 44.88 फीसदी वोट के साथ 165 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 36.38 फीसदी वोट के साथ 58 सीटें मिलीं। वहीं, 2018 में भाजपा को 41.02 प्रतिशत वोट मिले और उसे 109 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को 40.89 प्रतिशत वोट मिले और उसे 114 सीटें मिलीं।
(भाषा के इनपुट के साथ)
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