एमपी में BJP ने कांग्रेस के खिलाफ पुलिस में दी शिकायत, 'झूठी' पोस्ट का आरोप, क्या है मामला?
मध्य प्रदेश के सतना जिले में भाजपा ने कांग्रेस के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। भाजपा ने कांग्रेस पर झूठी जानकारी पोस्ट करने का आरोप लगाया है। क्या है पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट...
मध्य प्रदेश के सतना जिले में भाजपा ने एक महिला सरपंच की जाति के बारे में कथित तौर पर गलत जानकारी पोस्ट करने के लिए कांग्रेस के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। महिला सरपंच ने पहले आरोप लगाया था कि उन्हें गांव की बैठक के दौरान राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं दी गई। कुर्सी भी नहीं दी गई। भाजपा ने दावा किया कि जिस महिला से यह सवाल किया जा रहा है, वह ओबीसी की है। वह दलित नहीं है, जैसा कि कांग्रेस ने दावा किया है।
भाजपा के सतना मंडल महासचिव केशव कोरी ने सोमवार को कांग्रेस के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने दावा किया कि इस मुद्दे पर एक संदेश पोस्ट करके लोगों को गुमराह किया जा रहा है। पोस्ट में उन्हें दलित नेता बताया गया है, जबकि वास्तव में वह ओबीसी से हैं। कांग्रेस ने सोमवार को एक्स पर दावा किया था- अकौना गांव की एक दलित महिला सरपंच को बैठक में बैठने के लिए कुर्सी नहीं दी गई। जब उसने कुर्सी मांगी, तो बैठक में मौजूद लोगों ने उसे अपने घर से कुर्सी लाने या फर्श पर बैठने के लिए कहा।
कांग्रेस ने कहा था- इससे पहले भी उसे झंडा फहराने की अनुमति नहीं दी गई थी, क्योंकि वह दलित समुदाय से है। यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है और आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। हालांकि, प्रदेश भाजपा के संगठन महासचिव हितानंद शर्मा ने एक्स पर कहा- सरपंच और सचिव दोनों एक ही जाति (कुर्मी) से हैं और यह संभव है कि उनके बीच मतभेद हो। इसलिए, लोगों को गुमराह करने के लिए इस (मुद्दे) को कोई जातिगत कोण नहीं दिया जाना चाहिए।
सतना के सिटी कोतवाली थाने में दर्ज शिकायत में कोरी ने सोशल मीडिया पर भ्रामक संदेश पोस्ट करने वाले कांग्रेस नेताओं के खिलाफ जांच और उनके खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग की है। हालांकि, खबरों और महिला सरपंच श्रद्धा सिंह द्वारा सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश में इस मुद्दे पर लगाए गए आरोपों पर कार्रवाई करते हुए सतना जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) संजना जैन ने अकौना ग्राम पंचायत सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
सभी संबंधितों लोगों के बयान दर्ज करने के बाद सीईओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा- श्रद्धा सिंह निर्धारित समय सुबह आठ बजे के बजाय सुबह नौ बजे के बाद राष्ट्र ध्वज फहराने के लिए पहुंचीं। आयोजकों ने उन्हें तीन बार फोन भी किया, लेकिन वह सुबह नौ बजे तक नहीं आईं, जिसके बाद उपसरपंच ने राष्ट्र ध्वज फहराया। जांच में यह भी पता चला कि उन्हें कार्यक्रम में बैठने के लिए कुर्सी की पेशकश की गई थी।
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