इमरजेंसी फिल्म मामले में कंगना पर एक और मुसीबत, MP हाई कोर्ट ने भेजा नोटिस; 24 घंटे में मांगा जवाब
- इमरजेंसी फिल्म मामले में कंगना रनौत पर एक और मुसीबत आ गई है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने फिल्म को लेकर कंगना को नोटिस भेजा है। 24 घंटों में नोटिस का जवाब भी मांगा है। 3 सितंबर को अगली सुनवाई होगी।
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत, केंद्र सरकार, सेंसर बोर्ड को एक जनहित याचिका पर सोमवार को नोटिस जारी भेजा है, जिसमें उनकी आगामी हिंदी फिल्म 'इमरजेंसी' के प्रसारण को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि इसमें ऐसे दृश्य हैं जो सिखों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। जनहित याचिका (PIL) में कहा गया है कि 'इमरजेंसी' में ऐसे दृश्य हैं जो सिख समुदाय के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं और फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत बिना शर्त माफी मांगने की मांग की गई है।
हिमाचल प्रदेश के मंडी से भारतीय जनता पार्टी (BJP) की लोकसभा सांसद कंगना रनौत ने छह सितंबर को रिलीज होने वाली फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है। इस मामले पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने दो सिख संगठनों की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए, जिनका 24 घंटे में जवाब देना है।
याचिकाकर्ताओं के वकील एन एस रूपरा ने बताया कि अदालत ने प्रतिवादियों को इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से नोटिस भेजने का आदेश दिया और कहा कि यह तीन सितंबर तक (याचिका में उठाए गए मुद्दों पर उनके जवाब के साथ) जवाब दिया जा सकता है। कोर्ट ने इस मामेल में सुनवाई की अगली तारीख तीन सितंबर तय की है। उन्होंने कहा कि जबलपुर सिख संगत और श्री गुरु सिंह सभा, इंदौर ने याचिका दायर की है जिसमें कहा गया है कि सिख फिल्म से सीधे प्रभावित हैं और इसलिए उन्होंने संविधान में निहित अपनी गरिमा और सम्मान की रक्षा के लिए अदालत का रुख करने का फैसला किया है।
रूपरा ने कहा कि याचिका में केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश सरकार को देश भर में, विशेष रूप से मध्य प्रदेश में फिल्म के प्रदर्शन को प्रतिबंधित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। इसके अलावा, याचिका में रनौत और अन्य प्रतिवादियों को इस तरह की "गैर-जिम्मेदार" फिल्म बनाने के लिए पूरे देश से बिना शर्त माफी मांगने और एक सिख धर्मार्थ संगठन/संस्था को अनुकरणीय हर्जाना देने का निर्देश देने की मांग की गई है।
वकील ने कहा कि जीवनी पर आधारित राजनीतिक ड्रामा फिल्म का निर्देशन और सह-निर्माण 38 वर्षीय अभिनेत्री ने किया है। इस संबंध में केंद्र, मध्यप्रदेश सरकार, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी), मणिकर्णिका फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड, जी स्टूडियोज लिमिटेड, जी स्टूडियोज के मुख्य व्यवसाय अधिकारी उमेश के बंसल, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और फेसबुक इंडिया ऑनलाइन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी किए गए हैं।
रनौत ने शुक्रवार को कहा कि उनकी फिल्म अभी भी सेंसर बोर्ड के पास अटकी हुई है, जबकि खबरों में कहा गया है कि इसे रिलीज के लिए मंजूरी दे दी गई है। अभिनेत्री ने एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो संदेश में दावा किया कि उन्हें और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के सदस्यों को धमकियां मिली हैं, और उन पर फिल्म में 1984 में इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा की गई हत्या को न दिखाने का दबाव है।
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