Hindi Newsमध्य प्रदेश न्यूज़MP HC directs police to provide protection to interfaith couple

हिंदू युवती और मुस्लिम युवक की शादी को लेकर आया हाई कोर्ट का निर्देश, जानिए क्या कहा?

  • अदालती आदेश में कहा गया है, 'यदि कोई व्यक्ति याचिकाकर्ता 1 और 2 से जबरन संपर्क करते हुए उन्हें गलत तरीके से रोकने या आपराधिक बल का इस्तेमाल करने का अपराध करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है।'

Sourabh Jain पीटीआई, जबलपुर, मध्य प्रदेशTue, 22 Oct 2024 11:58 PM
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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने जबलपुर के पुलिस अधीक्षक को अंतरधार्मिक शादी करने के इच्छुक जोड़े को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने शादी की इच्छुक हिंदू लड़की और मुस्लिम युवक को 11 नवंबर तक के लिए अलग-अलग सुरक्षित जगह पर ले जाने का निर्देश भी पुलिस को दिया है।

इससे पहले सोमवार को यह विवाद तब गर्मा गया, जब तेलंगाना के भाजपा विधायक टी. राजा ने एक वीडियो मैसेज जारी करते हुए इस शादी को लव जिहाद का हिस्सा बताया और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव से इस शादी को रुकवाने की अपील की।

इस मामले में युवक-युवती द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विशाल धगट ने कहा कि 'दोनों याचिकाकर्ताओं (याचिकाकर्ता संख्या 1 और 2) को अदालत कक्ष में बुलाकर दोनों के बयान चैंबर में दर्ज कर लिए गए हैं, क्योंकि याचिकाकर्ताओं के रिश्तेदार अदालत को परेशान कर सकते थे।'

कोर्ट के अनुसार दोनों याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि वे पिछले एक साल से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं और शादी करना चाहते हैं। उनका कहना है कि उन्हें पुलिस सुरक्षा दी जानी चाहिए, वर्ना याचिकाकर्ता संख्या 1 (महिला) को उसके परिवार के सदस्य अपहरण करके ले जा सकते हैं। ये दोनों अपना काम करने में भी सक्षम नहीं हैं, और उनके जीवन व शरीर के अंगों को खतरा है।

हाई कोर्ट ने कहा, 'चूंकि याचिकाकर्ता 1 और 2 पर हमला होने की बहुत ज्यादा आशंका है, इसलिए जबलपुर के पुलिस अधीक्षक को याचिकाकर्ता नंबर 1 को पुलिस सुरक्षा देने का निर्देश दिया जाता है।'

जज ने कहा कि पुलिस की एक टीम महिला को उस स्थान पर ले जाएगी जहां वह रह रही है और उसे अपना सारा सामान इकट्ठा करने की अनुमति देगी। उन्होंने कहा, उक्त सामान एकत्र करने के बाद, उसे नारी निकेतन जैसे संस्थान में ले जाया जाएगा जहां उसे रहने की जगह, खाना और सोने के लिए सुरक्षित स्थान प्रदान किया जाएगा।

अदालत ने कहा कि युवती 11 नवंबर तक वहां रहेगी और परिवार के सदस्यों या जिस मुस्लिम व्यक्ति के साथ वह रिश्ते में है, उससे संपर्क नहीं कर सकेगी। आगे अदालत ने कहा कि इस अवधि के दौरान युवती, याचिकाकर्ता नंबर 2 से शादी करने के अपने फैसले के बारे में सोचने के लिए स्वतंत्र है।

अदालत के आदेश में कहा गया है कि 12 नवंबर को विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी कराने के लिए विवाह रजिस्ट्रार के समक्ष युवती का बयान दर्ज किया जाएगा।

इसके साथ ही अदालत ने कहा कि उसके मुस्लिम प्रेमी को भी सुरक्षा दी जाएगी और उसकी सुरक्षा के लिए पुलिस उसे अज्ञात स्थान पर ले जाएगी। अदालत ने कहा, जब परिस्थितियां अनुकूल होंगी, तो उसे उसके घर ले जाया जाएगा और परिवार के सदस्यों के साथ छोड़ दिया जाएगा।

आदेश में कहा गया है, 'यदि कोई व्यक्ति याचिकाकर्ता संख्या 1 और 2 से जबरन संपर्क करना चाहता है और गलत तरीके से रोकने या आपराधिक बल का प्रयोग करने का अपराध करता है, तो पुलिस अधीक्षक को ऐसे व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज करने और कानून के अनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाता है।'

सोमवार को हिंदू सेवा परिषद के प्रमुख अतुल जेसवानी ने कहा था कि भाजपा विधायक टी. राजा ने उन्हें एक वीडियो संदेश भेजा था, जिसके बाद उन्होंने जबलपुर कलेक्टर पुष्पेंद्र अहके से मुलाकात की और उनसे विशेष विवाह अधिनियम के तहत जोड़े के आवेदन को रद्द करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि उनके संगठन ने जिला कलेक्टर को "लव जिहाद के खिलाफ ज्ञापन" दिया था।

'लव जिहाद' एक शब्द है जिसका इस्तेमाल दक्षिणपंथी समूह मुस्लिम पुरुषों द्वारा हिंदू लड़कियों को शादी के जरिए धर्मांतरित करने के कथित अभियान को बताने के लिए करते हैं।

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