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मध्य प्रदेश ने अपनाई साइबर तहसील, 70 दिनों वाला काम 20 दिनों में हुआ पूरा; किसानों की हुई मौज

मध्य प्रदेश देश का पहला राज्य है, जिसने साइबर तहसील को लागू किया है। इसका फायदा राज्य को मिलने लगा है। पारंपरिक तहसील के जरिए जो काम 70 से भी अधिक दिनों में होता था, उसे इसके जरिए 20 से भी कम दिनों में पूरा किया गया है। पढ़िए फायदे…

Ratan Gupta लाइव हिन्दुस्तान, शिमलाWed, 11 Sep 2024 06:00 PM
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साइबर तहसील के जरिए बीते 6 महीने में एक लाख से ज्यादा किसानों के पास नामांतरण आदेश पहुंचाए गए हैं। ये आदेश ई-मेल और व्हाट्सएप के जरिए किसानों को भेजे गए। आपको बता दें कि काम इतनी तेजी से हुआ कि जो काम पारंपरिक तहसील के जरिए 70 से ज्यादा दिनों में होता था, वह काम इस साइबर तहसील के जरिए 20 से भी कम दिनों में हो गया है। इससे बेहद सकारात्मक बदलाव देखने को मिले। आपको बता दें कि साइबर तहसील की कार्यप्रणाली को देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश ने लागू किया है।

साइबर तहसील 1.0 का अगला चरण हुआ लागू

प्रमुख राजस्व आयुक्त अनुभा श्रीवास्तव ने बताया कि साइबर तहसील की शुरुआत 29 फरवरी 2024 को हुई थी। शुरुआत में सम्पूर्ण खसरा के क्रय-विक्रय की रजिस्ट्री के आधार पर साइबर तहसील से नामांतरण की व्यवस्था की गई। साइबर तहसील 1.0 की सफलता के बाद अगस्त महीना में साइबर तहसील 2.0 की शुरुआत की गई। इसके लागू होने से सम्पूर्ण खसरा के साथ खसरा के भाग, हिस्सा के क्रय-विक्रय के नामांतरण की व्यवस्था भी साइबर तहसील से होने लगी है।

साइबर तहसील से काम-काज हुआ आसान और तेज

साइबर तहसील व्यवस्था को सही ढंग से चलाने के लिए तहसीलदार और नायब तहसीलदार के पदों की संख्या भी बढ़ा दी गई है। ये संख्या पहले 11 थी, जिसे बढ़ाकर 25 किया गया है। साइबर तहसील व्यवस्था सभी 55 जिलों में लागू हो चुकी है। ये पूरी तरह से पेपरलेस,फेसलेस ऑनलाइन व्यवस्था है। इसमें आवेदक को नामांतरण के लिए ना तो आवेदन करना होता और न ही तहसील कार्यालय के चक्कर लगाना पड़ते है। इससे आवेदक का बर्वाद होने वाला समय भी बच गया है।

रजिस्ट्री होते ही पोर्टल पर अपडेट हो जाता डाटा

साइबर तहसील में नामांतरण की प्रक्रिया सेल डीड होने के साथ शुरू हो जाती है। रजिस्ट्री होने के तुरंत बाद रजिस्ट्री डाटा रेवेन्यू पोर्टल पर ट्रान्सफर कर दिया जाता है। इसके बाद खरीदने-बेचने वाले को मेसेज के जरिए सूचना भेज दी जाती है। इसी के साथ गांव वालों को भी मेसेज के जरिए सूचित कर दिया जाता है। पटवारी रिपोर्ट भी ऑनलाइन मिल जाती है। इसके बाद केस फिट होने पर नामांतरण आदेश पारित कर दिया जाता है।

आदेश पारित होने के तुरंत बाद जमीन से जुडे कागजादों को अपडेट कर दिया जाता है और इससे जुड़े लोगों को ई-मेल और व्हाट्सएप पर नामांतरण आदेश भेज दिया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया 20 दिन की समयावधि में हो जाती है। देश में पहली बार मध्यप्रदेश में शुरू किए गए राजस्व ई-कोर्ट के नवाचार सायबर तहसील व्यवस्था का अध्ययन अन्य राज्य भी कर रहे हैं। प्रदेश के सभी जिलों में सायबर तहसील व्यवस्था का सफल संचालन किया जा रहा है।

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