यह बात बताई जानी चाहिए...; भोपाल के जहरीले कचरे को इंदौर के करीब नष्ट करने पर बोलीं सुमित्रा महाजन
- महाजन ने कहा कि गैस त्रासदी के दुष्प्रभाव भोपाल के लोग पीढ़ी-दर-पीढ़ी भुगत रहे हैं, इसलिए इस कचरे का निपटारा पूरी सजगता से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि केंद्र और प्रदेश की सरकारें इस कचरे का उचित तरह से निपटारा करेंगी।
लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और इंदौर की पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन ने गुरुवार को कहा कि सन् 1984 में हुए भोपाल गैसकांड के लिए जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन जहरीले कचरे का निपटारा वैज्ञानिकों से विस्तृत चर्चा के आधार पर किया जाना चाहिए क्योंकि यह आम लोगों के जीवन से जुड़ा विषय है। उन्होंने यह बात ऐसे वक्त कही, जब इस गैस त्रासदी के होने के 40 साल बाद यह जहरीला कचरा नष्ट करने के लिए इंदौर से करीब 30 किलोमीटर दूर पीथमपुर में स्थित एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई में पहुंचा दिया गया है।
महाजन ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा, ‘भोपाल गैस त्रासदी का भयावह मंजर याद आते ही हम सबका दिल दहल जाता है। यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे का निपटारा अवश्य होना चाहिए, लेकिन जैसा कि स्थानीय जन प्रतिनिधियों का कहना है कि यह बात बताया जाना चाहिए कि कचरे का निपटान किस तरह किया जाएगा?’ सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता ने इस बात पर जोर दिया कि इस कचरे का निपटारा राजनीतिक मुद्दा कतई नहीं है।
इंदौर लोकसभा सी से 8 बार सांसद रह चुकीं महाजन ने कहा कि वैज्ञानिकों से विस्तृत चर्चा के आधार इस कचरे का निपटारा किया जाना चाहिए और स्थानीय लोगों को भी इस बातचीत में प्रमुखता से शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि यह जनता के जीवन का प्रश्न है। उन्होंने कहा,‘चर्चा इस बात पर होनी चाहिए कि पीथमपुर में कचरा नष्ट होने के बाद पर्यावरण, भूमि और जल स्त्रोतों पर इसका कोई दुष्प्रभाव तो नहीं होगा?’
महाजन ने कहा कि गैस त्रासदी के दुष्प्रभाव भोपाल के लोग पीढ़ी-दर-पीढ़ी भुगत रहे हैं, इसलिए इस कचरे का निपटारा पूरी सजगता से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि केंद्र और प्रदेश की सरकारें इस कचरे का उचित तरह से निपटारा करेंगी। इंदौर और पीथमपुर के नागरिक भी यूनियन कार्बाइड कारखाने का जहरीला कचरा पीथमपुर में जलाए जाने का विरोध कर रहे हैं।
इससे पहले, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने महाजन से उनके इंदौर स्थित निवास में मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि वह यूनियन कार्बाइड कारखाने के जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट किए जाने की कवायद रुकवाने में उनकी मदद करें।
पटवारी ने दावा किया कि विशेषज्ञों के मुताबिक पीथमपुर की अपशिष्ट निपटान इकाई में यूनियन कार्बाइड का कचरा नष्ट किए जाने से भविष्य में इस औद्योगिक कस्बे के साथ ही इसके आसपास के इलाकों और इंदौर में कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
पटवारी ने कहा,‘हम इस मुद्दे पर राजनीति नहीं करना चाहते, लेकिन जब तक पीथमपुर में कचरे के निपटान को लेकर विशेषज्ञ किसी स्पष्ट निष्कर्ष पर नहीं पहुंचते, तब तक वहां इस कचरे के निपटान पर रोक लगनी चाहिए।’
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी मांग की है कि इस कचरे को पीथमपुर में नष्ट किए जाने की योजना पर फिर से विचार किया जाना चाहिए और इस सिलसिले में राज्य सरकार की ओर से मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर की जानी चाहिए।
भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है।
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